अरशद खान/देहरादून.धार्मिक मान्यता है कि पितृ दोष एक अदृश्य बाधा है. यह बाधा पितरों द्वारा नाराज होने के कारण होती है. पितरों के रुठने के बहुत से कारण हो सकते हैं, जैसे- उनके प्रति आपका आचरण, किसी परिजन द्वारा की गई गलती और श्राद्ध न करने से भी यह दोष हो सकता है. कहा जाता है कि मृत आत्माएं अपने परिवार से प्यार-स्नेह न मिलता देख श्राप दे देती हैं, जिस कारण उन्हें पितृ दोष लग जाता है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून निवासी ज्योतिष संजय मित्तल ने ‘लोकल 18’ से बातचीत में कहा कि पितृदोष को आसान शब्दों में इस तरह से समझा जा सकता है कि या तो आपके पिता को कठिनाई या फिर आपको पिता होने में कठिनाई होती हो. निसंतानता भी पितृदोष में ही आता है. भगवान राम को भी पितृ दोष लगा था, इसलिए वह हमेशा अपने पिता से दूर ही रहे. राजा बनने के वक्त भी वह अपने पिता से दूर थे. उसके बाद पितृदोष के चलते प्रभु श्रीराम के पुत्र भी उनसे दूर रहे.
कैसे करें पितृ दोष की पहचान?
पितृ दोष की पहचान इस तरह की जा सकती है, यदि किसी के विवाह में अड़चन आती है. विवाह होने के बाद बात तलाक तक बात पहुंच जाती है. पिता-पुत्र एक ही छत के नीचे नहीं रह पाते हैं या उनकी तरक्की रुक जाती है. नौकरी या कारोबार में हानि झेलनी पड़ती है. वंश आगे बढ़ाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यह सभी पितृदोष के संकेत हैं.
पितृ दोष के उपाय
पितृ दोष के वैसे तो कई उपाय हैं, लेकिन इसका सबसे सरल उपाय यह है कि किसी भी शुभ दिन गंगा स्नान करें और एक मटका जल में प्रवाहित कर दें. पीपल के पेड़ को दोपहर में जल चढ़ाएं. साथ ही पुष्प, दूध, गंगाजल और काले तिल भी अर्पित करें. मृत व्यक्ति की मृत्यु की तिथि पर जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं. श्राद्ध में पिंडदान करें और पशुओं को खाना खिलाएं. इस दौरान इनका अपमान बिल्कुल न करें.
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FIRST PUBLISHED : January 25, 2024, 16:54 IST
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