भगवान पार्श्वनाथ की विश्व में इकलौती प्रतिमा, दर्शन से पूरी होती है मनोकामना! जानें खासियत 

अनुज गौतम/सागर: जिले के रहली में विश्व की इकलौती सहस्त्र फणी युगल प्रतिमा है. मान्यता है कि जैन अतिशय क्षेत्र में करीब 400 साल पुरानी भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा के दर्शन करने मात्र से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. 1008 श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र पटना गंज 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाओं से प्रतिष्ठित 30 मंदिरों का एक रमणीय मनोहारी एवं ऐतिहासिक सांस्कृतिक स्थल है. मंदिरों के समूह उत्तर भारत की नगर शैली में निर्मित हैं. यह क्षेत्र दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर कल-कल करती बहती हुई सुनार नदी के दाएं तट पर है.

400 वर्ष प्राचीन है क्षेत्र
ब्रह्मचारी राकेश जैन बताते हैं कि जैन अतिशय क्षेत्र में स्थित इस मंदिर को पटना गंज बड़े बाबा के रूप में जाना जाता है. यहां पर भगवान पार्श्वनाथ की दो प्रतिमाएं श्याम वर्ण की हैं, जिन्हें बरखेरा सिकंदर के पति राम जी ने स्थापित करवाई थी. यह भारत ही नहीं, पूरे विश्व की अनोखी धरोहर है, जो इस क्षेत्र के गौरव को बढ़ाती है. सच्चे मन से श्रद्धा के साथ हाथ जोड़कर जो भी श्रद्धालु इनके दर्शन करते हैं और मन्नत मांगते हैं तो वह अवश्य पूरी होती हैं. प्रतिमा का छत्र 1008 सर्प फणों से बना हुआ है.

सहस्रफण छत्र सहित पार्श्वनाथ की प्रतिमा
इतिहासकार डॉ. श्याम मनोहर पचौरी बताते हैं कि विक्रम संवत् 1842 में निर्मित यह 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा इस क्षेत्र का गौरव और अद्वितीय धरोहर है. यह 1.25 मीटर ऊंची तथा 0.75 मीटर चौड़ी है. उक्त प्रतिमा की अद्भुतता ऐतिहासिकता और आकर्षण उसकी वीतराग सौम्य मुद्रा से तो है ही, लेकिन मुख्य पहचान प्रतिमा के प्रभावशाली भाग पर सहस्रफण निर्मित अनुपम छत्र है. इस शिखर मंदिर में पद्मासन में विराजमान सहस्रफण छत्र से युक्त दो वृहद आकार की प्रतिमाएं हैं. जबकि नौ फणों वाली दो अन्य पद्मासन प्रतिमा भी प्रतिष्ठित हैं. यह प्रतिमाएं सांस्कृतिक धरोहरों में अपनी अद्वितीय पहचान बनाए हुए हैं.

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