भगवान चारभुजा नाथ का किया विदेशी करंसी से श्रृंगार, मोरबंद से लगे सुंदरता में चार चांद

रवि पायक/भीलवाड़ा. भीलवाड़ा में इन दिनों मंदिरों में विदेशी करंसी का श्रृंगार ट्रेंड बढ़ रहा है. भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के बाद भगवान को विदेशी करंसी की पोशाकों में देखकर अपनी भक्ति अभिव्यक्त कर रहे हैं. भीलवाड़ा जिले के प्राचीन बड़ा मंदिर, चारभुजा नाथ मंदिर, में एक भक्त ने वियतनाम से लाई करंसी भगवान चारभुजा नाथ की श्रृंगार के लिए भेंट की है. इस श्रृंगार में भक्ति भरी भावना और समर्पण दिखाई देता है जो श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहा है. इसके अलावा, शादियों के सीजन में भी मंदिर में विशेष प्रकार की पूजा की जा रही है, जिसमें भगवान को मोर-बंद पहना कर और उन्हें तुलसी मां के साथ बैठाया जा रहा है.

भीलवाड़ा शहर के सराफा बाजार में स्थित चारभुजा नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी भीम शंकर पाराशर ने बताया कि भीलवाड़ा शहर का चारभुजा नाथ मंदिर का निर्माण 1717 में हुआ था. पौराणिक दृष्टिकोण से कहा जाता है कि जब किसी नगर या गांव की नींव रखी जाती है, तो सबसे पहले उस गांव या नगर में चारभुजा नाथ मंदिर की स्थापना होती है, जो उसका मुख्य बड़ा मंदिर होता है. यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और यहां का चारभुजा नाथ मंदिर अपने आप में एक विशेष स्थान रखता है. यहां के चमत्कारी चारभुजा नाथ की मूर्ति से भरपूर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को अपनी मनोकामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद देता है.

यहां भक्तों द्वारा विभिन्न प्रकार की पोशाकें भगवान चारभुजा नाथ को भेंट के रूप में प्रदान की जाती हैं. हाल ही में एक भक्त ने वियतनाम देश की करेंसी की नोटें चारभुजा नाथ को भेंट कीं हैं, जिसके बाद उनका श्रृंगार भी किया गया है. इससे मंदिर भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र बन गया है. इसके अलावा, भगवान चारभुजा नाथ को मोरबंद में पहनाया गया है और माता तुलसी को भी भगवान के साथ बैठाया गया है, जिससे पूरे मंदिर को एक शादी के माहौल की भावना से सजाया गया है. इससे मंदिर की सुंदरता में और भी वृद्धि हुई है और इसे आकर्षक बनाया गया है.

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