भक्षक का टीजर देख कांप उठी हो रूह, तो जान लें क्या थी बिहार की सच्ची घटना

मनीष वत्स/पटना. मुजफ्फरपुर का शेल्टर होम कांड आपको याद है न. यह वही जगह था जहां भूली, भटकी, मानसिक रूप से अस्वस्थ और कानूनी कारणों से 6 से 18 साल तक की लड़कियों को सरकारी संरक्षण में रखा जाता था. यहां रहने वाली बच्चियों और लड़कियों का वहां के रक्षक ही भक्षक बन गए थे. इस सच्ची घटना को भूमि पडनेकर और संजय मिश्रा अभिनीत फिल्म भक्षक में दिखाया जाएगा. इसका टीजर रिलीज हो गया है. रूह को कंपा देने वाली इस सच्ची घटना ने एक समय बिहार सरकार की कुर्सी तक को हिला दिया था. टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस की रिपोर्ट जारी होने बाद सरकार ने आनन-फानन में इस केस को सीबीआई को रेफर कर दिया था. आरोपियों को सजा भी हुई.

रक्षकों पर लगा था लड़कियों के शरीर को नोंचने का आरोप
बॉलीवुड फिल्मों के कोठा और मुजफ्फरपुर की शेल्टर होम में सिर्फ इतना सा ही अंतर था कि कोठों पर या तो लड़कियों को बेच दिया जाता है, जो पुश्त दर पुश्त वहीं रहती है और ग्राहक उसके शरीर को अपनी सुविधा के अनुसार नोंचते हैं. जबकि शेल्टर होम की लड़कियां सरकार की संरक्षण में NGO के द्वारा रखी और देखभाल की जाती है. कोठा से भी लड़कियों को बाहर भेजा जाता है और शेल्टर होम से भी लड़कियां बाहर भेजी जाती थी.

मुजफ्फरपुर की घटना के सामने आने के बाद पूरे बिहार में शेल्टर होम की जांच की गई. कई पर सरकार की गाज भी गिरी. इस मामले में सीबीआई ने जिन 21 लोगों को आरोपी बनाया था, उनमें से ज्यादातर पर यहां की लड़कियों ने दुष्कर्म और मुंह खोलने पर पीटने का आरोप लगाया था.

संचालक पर 6 से अधिक लड़कियों ने लगाया था दुष्कर्म का आरोप
बृजेश ठाकुर मुजफ्फरपुर शेल्टर होम का संचालक था. वह इस कांड का मुख्य आरोपी था. उसपर यहां की 6 से अधिक लड़कियों ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था. आरोप था की वह बड़े-बड़े अधिकारियों तक को यहां की लड़कियां सप्लाई करता था. इसके लिए उसने मुजफ्फरपुर और पटना में अपना सेफ हाउस बना रखा था.

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रिपोर्ट की माने तो इस शेल्टर होम तक जितने भी पुरुषों की पहुंच थी, उन सबने लड़कियों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए उससे दुष्कर्म किया. इसमें रवि रोशन बाल संरक्षण पदाधिकारी रवि रौशन, बाल कल्याण समिति सदस्य विकास कुमार, बृजेश ठाकुर का ड्राइवर विजय तिवारी, रसोईया गुड्डू कुमार, सफाई कर्मी कृष्ण कुमार, गेट कीपर रामानुज ठाकुर, बृजेश ठाकुर के पारिवारिक प्रेस का मैनेजर रमाशंकर उर्फ मास्टर साहब जैसे लोग आरोपी किए गए थे.

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महिला अधिकारियों को नहीं आई थी दया, उल्टा दिलवाती थी सेक्सी लुक
चौंकाने वाली बात यह की शेल्टर होम से जुड़ी महिला अधिकारी और कर्मी तक ब्रजेश ठाकुर के इशारे पर नाचती रही. बच्चियों और लड़कियों को बचाने के बजाए वह उसे पिटती, चुप रहने को कहती. और तो और, लड़कियों की कामुकता को दिखाने के लिए उन्हें अश्लील गानों पर छोटे कपड़ों में डांस करना सिखाती थी. दुष्कर्म के बाद असहनीय पीड़ा को दूर करने के लिए नसे की गोली तक दी जाती थी.

यहां की अध्यक्ष इंदु कुमारी बृजेश ठाकुर की बड़ी राजदार थी. फिर चाहे शेल्टर हाउस की मदर मीनू देवी हो, काउंसलर मंजू देवी, चंदा देवी, नर्स नेहा कुमारी, हेल्पर किरण कुमारी, प्रोबेशन पदाधिकारी हेमा मसीह, बाल संरक्षण इकाई की सहायक निदेशक रोनी रानी, साजिश्ता परवीन उर्फ मधु, कथित डॉक्टर अश्विनी कुमार, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष दिलीप वर्मा, मधु का भांजा विक्की ही क्यों न हो, हर कोई इस घिरौने कांड में किसी न किसी रूप में अपने-अपने हिस्से का रोल निभा रहा था.

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