रूपांशु चौधरी/हजारीबाग. हमारी प्रकृति में कई ऐसी जड़ी बूटियां उपलब्ध हैं, जिसमें कई प्रकार के रोग को ठीक करने की क्षमता होती है. आयुर्वेद इसी पर कार्य करता है. हजारीबाग के झील परिसर में लोग इन्हीं जड़ी बूटियों से निर्मित शरबत का सेवन करने के लिए आते हैं. झील परिसर में एक स्टॉल पर कई जड़ी बूटियां को मिलाकर उसका शरबत तैयार किया जाता है.
इस स्टॉल के संचालक उदय कुमार सिंह बताते हैं कि वह कई साल से जड़ी बूटियां पर शोध कर रहे हैं. उसी से निर्मित ये शरबत है. इस शरबत को बनाने में 25 से 30 प्राकार की जड़ी बूटियां इस्तेमाल होती है. इसमें प्रयोग होने वाली अधिकांश जड़ी बूटियों को एक दिन पहले जंगल से लाया जाता है. इसमें अधिकांश जड़ी बूटियां झारखंड के जंगलों में ही मिल जाती हैं.
उन्होंने आगे बताया कि प्रकृति में सभी बीमारियों के लिए इलाज पहले से उपलब्ध है. बस उसे खोजना और इस्तेमाल करना आज के समय में काफी कठिन हो गया है. पूर्व के समय में हर गांव में वैध हुआ करते थे, जो नस पकड़ कर बीमारी पता करते और जंगलों की जड़ी बूटियां से उसका इलाज करते थे. ये काफी कारगर इलाज था.
25 से 30 जड़ी-बूटी और पत्ते से तैयार होता है शरबत
इस शरबत को बनाने के लिए आंवला, हल्दी, बरमन्नी, कचनार के पत्ते, कालमेघ के पत्ते, परुमार, अपामार्ग, गिलोय, एलोवीरा, जामुन के नए पत्ते, कसौंधी, जंगली तुलसी यदि का प्रयोग किया जाता है. जंगलों से इन पत्तों को लाने के बाद इसकी सफाई कर इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लिया जाता है. फिर पूरा साफ कर मिक्सी में पीसा जाता है. पीसने के बाद उससे निकले हुए जूस को छोटे ग्लास में 20 रुपए में परोसा जाता है.
इन बीमारियों के लिए रामबाणव
उन्होंने बताया कि यह शरबत ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, डिटॉक्स वजन, पाचन, यादि में काफी कारगर है. इसके लगातर 1 माह के उपयोग के बाद लोगों को इसके फायदे दिखने लगते हैं. इस शरबत को पीने के लिए आपको हजारीबाग के झील परिसर में सारले पार्क में आना होगा. यहीं इस पार्क के बाहर ये शरबत का स्टॉल लगाया जाता है. इसकी टाइमिंग सुबह 6 से 9 बजे तक का है.
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FIRST PUBLISHED : December 19, 2023, 15:21 IST