ब्रम्हा जी ने खुद की थी इस मंदिर की स्थापना, रातों-रात बदल गया था दरवाजा

सावन कुमार/बक्सर : पैराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय से ही भारत चमत्कारिक देश रहा है. बक्सर के ब्रह्मपुर में स्थित बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर का उल्लेख कई पुराणों और उपनिषदों में वर्णित है. शिव पुराण के रूद्र संहिता में बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ शिवलिंग का वर्णन है. ब्रह्मपुर ‘विराजते सो ब्रह्मेश्वर नाथ स्थापितः येन ब्राह्मण’ सृष्टि के रचयिता ब्रह्म जी के द्वारा स्थापित किए गए शिवलिंग को बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ महादेव के नाम से जाना जाता है. इस कारण इस नगरी का नाम ब्रह्मपुर पड़ा, क्योंकि स्वयं ब्रह्मा जी ने इसकी रचना की.

मंदिर के चमत्कार को देखकर मुगल शासक भी हो गए थे हैरान
मंदिर के उपाध्यक्ष सह पुजारी डमरू बाबा ने बताया कि जब मुगल शासक ने इस मंदिर को तोड़ने की घोषणा की, तब वहां के तत्कालिक पुजारियों ने मुगल शासक से काफी विनती की. तब मुगल शासक ने कहा कि अगर तुम्हारे महादेव में ताकत है तो जाकर कह दो उनसे कि उनका मुख पश्चिम की तरफ हो जाए. उस वक्त वहां के पुजारी काफी चिंतित थे कि आखिर अब क्या किया जाए.

आधी रात तक शिवजी से पार्थना करते रहे और जब सुबह उनकी आंख खुली तो सभी आश्चर्यचकित थे, क्योंकि मंदिर का मुख्य दरवाजा पूरब से पश्चिम हो गया था. अंत में मुगल शासक ने भी इस मंदिर के चमत्कार को स्वीकार किया और दबे पांव लौट गया.

ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर में होती है सबकी मनोकामना पूरी
मंदिर के पुजारी डमरू बाबा का कहना है कि बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर का दूसरा नाम मनोकामना पूर्ति भी है. यहां जो भक्त सच्चे मन से अपनी मनोकामना लेकर आते हैं वो जरूर पूरी होती है. इस मंदिर में बाबा के दर्शन करने बिहार के अलग-अलग क्षेत्र से तो लोग आते ही हैं, साथ ही अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने आते हैं. पुजारी ने बताया कि श्रावण माह में इस मंदिर में लाखों की संख्या में हर रोज श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने आते हैं.

मंदिर को मिलने वाले चढ़ावे से बेटियों की कराई जाती है शादी
पुजारी डमरू बाबा ने बताया कि इस फाल्गुन शिवरात्रि में भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु आएंगे. मंदिर की तरफ से सभी श्रद्धालुओं का स्वागत काफी अच्छे से किया जाएगा. यहां आने वाले श्रद्धालु के लिए जलपान की व्यवस्था मंदिर के पुजारियों की तरफ से की जाती है. साथ ही यहां जो मंदिर में चढ़ावा आता है उससे कई गरीब घर की बेटियों की शादी में मदद की जाती है. अब तक करीब पचास से अधिक बेटियों की शादी का पूरा खर्च मंदिर की तरफ से उठाया गया है.

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