बोर्ड परीक्षा की पूरी थी तैयारी… पर एडमिट कार्ड ने फेर दिया पानी, अब सदमे में 12वीं की छात्रा

आशुतोष तिवारी/रीवा: मध्य प्रदेश में बोर्ड परीक्षा को लेकर एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. स्कूल प्रशासन की गलती से एक छात्रा का पूरा साल दांव पर लग गया है. 12वीं की छात्रा ने प्राचार्य पर आरोप लगाया है कि उसने पूरे साल बायो की पढ़ाई की है, लेकिन जब परीक्षा देने की बारी आई तो उसके हाथ में आर्ट विषय का प्रवेश पत्र थमा दिया गया है. यह पूरा मामला रीवा के जवा तहसील के सितलहा संकुल अंतर्गत शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल चांदी का है.

छात्रा ने लगाया लापरवाही का आरोप
12वीं की पढ़ाई करने वाली सीमा सेन भी सभी परीक्षार्थियों की तरह प्रवेश पत्र का इंतजार कर रही थी. लेकिन, जैसे ही उसके हाथ में प्रवेश पत्र मिला, उसके होश उड़ गए. दरअसल, सीमा पूरे साल बायो की पढ़ाई करती रही. इतना ही नहीं, स्कूल द्वारा आयोजित कराई गई त्रैमासिक और अर्धवार्षिक परीक्षा में उसने बायो की ही परीक्षा दी थी. जब बोर्ड परीक्षा की बारी आई तो आर्ट ग्रुप का प्रवेश पत्र छात्रा को विद्यालय द्वारा पकड़ा दिया गया. सीमा ने पिता विनय सेन को पूरे मामले से अवगत कराया.

फीस भी कर चुकी थी जमा
सीमा ने बताया कि वह शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल चांदी में ही पढ़ाई कर रही थी. 11वीं में आर्ट विषय से पढ़ाई करने के बाद छात्रा ने 12वीं में बायो से पढ़ाई करने के लिए प्राचार्य से निवेदन किया था. स्कूल प्रबंधन द्वारा सब्जेक्ट चेंज करने के लिए 1500 रुपये की फीस भी ली गई थी. शुल्क जमा करवा कर बायो की पढ़ाई करवाना भी शुरू करवा दिया था. लेकिन, जब बोर्ड परीक्षा का प्रवेश पत्र आया तो वह आर्ट विषय का निकला. छात्रा का आरोप है कि जब उसने इस विषय की जानकारी प्राचार्य से मांगी तो प्राचार्य ने गोल-मोल जवाब दिया. सीमा ने बताया कि एक तरह से वह परीक्षा से वंचित हो गई है. वह काफी सदमे में है.

प्राचार्य के खिलाफ होगी कार्रवाई!
मामला जब जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंचा तो उन्होंने बताया कि लापरवाही की वजह से एक छात्रा के परीक्षा से वंचित होने की शिकायत मिली है. जांच रिपोर्ट में पाया गया कि छात्रा विद्यालय की नियमित विद्यार्थी है. छात्र त्रैमासिक, अर्धवार्षिक और जनवरी तक उपस्थित रही है. ऐसे में प्राचार्य की जिम्मेदारी होती है कि विद्यार्थियों के परीक्षा फॉर्म के प्रति सचेत रहें. यदि विद्यार्थियों से कोई गड़बड़ी भी होती है तो उसकी पूर्ति करवाएं. लेकिन, प्राचार्य की लापरवाही की वजह से बच्ची का साल खराब हो रहा है. प्रिंसिपल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही का प्रस्ताव भेजा है.

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