बोधगया की इस गुफा में भगवान बुद्ध ने 6 साल की थी तपस्या, दुनियाभर से देखने आते हैं श्रद्धालु

बिहार का बोधगया भगवान गौतम बुद्ध की वजह से दुनियाभर में फेमस है. उन्‍होंने यहीं परम ज्ञान की प्राप्त की थी. इससे आज बौद्ध धर्म के सभी अनुयायी जीवन की प्रेरणा पाते हैं. वहीं, बोधगया में उनके जीवन से जुड़ी कई ऐसी चीजें हैं, जिसके दर्शन के लिए लोग आते हैं.( रिपोर्ट: कुंदन कुमार)

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बिहार का बोधगया भगवान गौतम बुद्ध की वजह से दुनियाभर में मशहूर है. जबकि डुंगेश्वरी गुफा बिहार के प्रसिद्ध बौद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है. महाकाल गुफा के रूप में भी लोकप्रिय डुंगेश्वरी गुफा गया से 12 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है. माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के लिए बोधगया जाने से पहले छह साल तक इस स्थान पर ध्यान लगाया था.

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पहाड़ पर मौजूद गुफा मंदिर में उनकी कठोर तपस्या को दर्शाती सोने की एक मूर्ति है. एक और गुफा में बुद्ध के जीवन के उस दौर को श्रद्धांजलि देने के लिए एक बहुत बड़ी प्रतिमा है, जो लगभग 6 फीट ऊंची है.

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इस गुफा से जुड़ा एक लोकप्रिय मिथक है. कहा जाता है कि अपने आत्म-वैराग्य के दौरान सिद्धार्थ गौतम क्षीण हो गए थे. सुजाता के नाम की एक स्त्री उनकी क्षीण काया को देख द्रवित हो गई और उसने उन्हें भोजन और पानी दिया. इसके बाद उनको एहसास हुआ कि स्वयं को दुख देकर बोधिसत्व प्राप्त नहीं किया जा सकता है. वह बोधगया की यात्रा पर निकल गए.

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गौतम बुद्ध अपनी तपस्या के दौरान, बेहद कमजोर और भूखे हो गए थे. उस समय पास के गांव की सुजाता नाम की महिला ने उन्हें जलपान कराया था. यह माना जाता है कि भगवान बुद्ध को यही से मध्यम मार्ग का ज्ञान प्राप्त हुआ था.

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गुफा मंदिरों में से एक मंदिर हिंदू देवी दुंगेश्वरी को समर्पित है. डुंगेश्वरी गुफा मंदिरों को महाकाल गुफा मंदिरों के नाम से भी जाना जाता है.

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