कमल पिमोली/ श्रीनगर गढ़वाल.उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में बैकुंठ चतुर्दशी के दिन आयोजित होने वाले खड़े दीए के अनुष्ठान के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो गई है. राज्य ही नहीं बल्कि देशभर से अनुष्ठान के लिए लोग रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं. 25 नवंबर को श्रीनगर गढ़वाल स्थित सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर में यह धार्मिक अनुष्ठान किया जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में निसंतान दंपति प्रतिभाग करेंगे. जहां विज्ञान हार मान जाए, दवाइयां भी काम न आएं, वहां आस्था और आध्यात्म काम करता है. इसी की बानगी श्रीनगर गढ़वाल के कमलेश्वर महादेव मंदिर में देखने को मिलती है. यहां हर साल बैकुंठ चतुर्दशी के दिन खड़े दीए का अनुष्ठान किया जाता है, जिसमें निसंतान दंपति संतान प्राप्ति के लिए अनुष्ठान करते हैं. मान्यता है कि यह अनुष्ठान पूरा करने के बाद दंपति को संतान सुख की प्राप्ति होती है.
कमलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी जगदीश नैथानी ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक 105 पंजीकरण खड़े दीए के अनुष्ठान के लिए हो चुके हैं. इसमें हरिद्वार, देहरादून, पौड़ी, दिल्ली, चंडीगढ़ समेत बेंगलुरु आदि जगहों से लोगों ने पंजीकरण कराया है. उन्होंने बताया कि जो निसंतान दंपति यहां आकर अनुष्ठान करना चाहते हैं, वे मंदिर में पहुंचकर पंजीकरण करवा सकते हैं. इसके अतिरिक्त अन्य प्रदेशों में रहने वाले लोग फोन कॉल माध्यम या व्हाट्सएप के जरिए मंदिर समिति से संपर्क कर अपना पंजीकरण कर सकते हैं. इसके लिए 9412324526, 8057136025 पर संपर्क किया जा सकता है.
निशुल्क होता है पंजीकरण
पुजारी जगदीश नैथानी ने बताया कि वर्षों से मंदिर में खड़े दीए का अनुष्ठान किया जा रहा है, लेकिन बदलते वक्त के साथ यहां की महिमा का प्रचार-प्रसार होने से अब दूर-दूर से भी निसंतान दंपति यहां अनुष्ठान करने के लिए बैकुंठ चतुदर्शी के दिन पहुंचते हैं. ऐसे में यहां आने वाले लोगों को अनुष्ठान करते वक्त किसी तरह की कोई समस्या पैदा न हो इसके लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की गई है, जिससे कि यह स्पष्ट हो जाए कि कितने लोग अनुष्ठान में प्रतिभाग कर रहे हैं और साथ ही उनकी व्यवस्था की जा सके. वहीं पंजीकरण का कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है, केवल अनुष्ठान में प्रयोग होने वाले सामान का पैसा दंपति देते हैं.
दंपति को हाथ पर जलता दीपक रखना होता है
कमलेश्वर महादेव की महिमा इतनी है कि देश-विदेश से यहां निसंतान दंपति अनुष्ठान करने के लिए आते हैं. अनुष्ठान के दौरान दंपति को हाथ पर जलता हुआ दीपक लेकर रातभर खड़ा रहना होता है, इस दौरान मंदिर में भजन, पूजा-अर्चना चलती रहती है. पुजारी बताते हैं कि अगर दंपति पूरे अनुष्ठान को भली-भांति कर लेता है, तो उन्हें एक-दो साल के अंदर संतान सुख की प्राप्ति होती है. वह जानकारी देते हुए बताते हैं कि संतान प्राप्ति के बाद दंपति फिर से कमलेश्वर मंदिर में आकर पूजा अर्चना करवाते हैं. इससे मंदिर के पास भी रिकार्ड रह जाता है कि कितने दंपतियों को संतान सुख प्राप्त हुआ.
(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. LOCAL 18 किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)
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FIRST PUBLISHED : October 29, 2023, 08:37 IST