संघीय जांच एजेंसी ने गोयल (74) को दिल्ली से अपने मुंबई कार्यालय ले जाने के बाद शुक्रवार देर रात हिरासत में ले लिया था. धनशोधन रोधी अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज मामलों की सुनवायी के लिए लिए गठित एक विशेष अदालत ने शनिवार को उन्हें 11 सितंबर तक 10 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया.
एजेंसी ने एक बयान जारी करके दावा किया कि गोयल के समूह – जेट एयरवेज (इंडिया) लिमिटेड या जेआईएल – की कुल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) 5,951.46 करोड़ रुपये है और इसमें से नौ बैंकों के परिसंघ में से सबसे बड़ा हिस्सा (1,636.23 करोड़ रुपये) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का है.
ईडी की जांच में पाया गया है कि ‘‘पेशेवर और परामर्श की आड़ में, 1,000 करोड़ रुपये के संदिग्ध खर्चों को दर्ज किया गया, नरेश गोयल और उनके परिवार के सदस्यों के व्यक्तिगत खर्चों को कंपनी के खर्च में दर्ज किया गया था, और बेहिसाबी लेनदेन को प्रमोटर के विदेशी खातों में जमा किया गया था.”
ईडी ने आरोप लगाया कि जेआईएल ने सामान्य बिक्री एजेंटों के कमीशन की आड़ में दुबई, आयरलैंड और ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह सहित अन्य ‘टैक्स हेवेन’ स्थित विदेशी संस्थाओं को धन ‘‘भेजा”, जिसका भुगतान गोयल और उनके सहयोगियों से जुड़े संबंधित पक्षों और संस्थाओं को किया गया.
एजेंसी ने कहा है कि जुलाई में उनके खिलाफ छापेमारी के बाद गोयल को दो बार तलब किया गया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए. जेट एयरवेज ने नकदी खत्म होने के बाद अप्रैल 2019 में अपना परिचालन बंद कर दिया. बाद में गोयल ने एयरलाइन के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.
धनशोधन रोधी कानून की आपराधिक धाराओं के तहत दर्ज ईडी का मामला, कथित मामले के संबंध में जेट एयरवेज, गोयल, उनकी पत्नी अनीता और कंपनी के कुछ पूर्व अधिकारियों के खिलाफ केनरा बैंक में 538 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के संबंध में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है.
ईडी ने गोयल, चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) और सलाहकारों के खिलाफ छापे मारे, जिन्हें जेआईएल ने बीते वर्षों में ‘बड़े भुगतान’ किए थे. सीबीआई की प्राथमिकी बैंक की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसने जेआईएल को 848.86 करोड़ रुपये की ऋण सीमा और ऋण मंजूर किए थे, जिसमें से 538.62 करोड़ रुपये की राशि बकाया थी. सीबीआई ने कहा था कि खाते को 29 जुलाई, 2021 को ‘धोखाधड़ी’ घोषित किया गया था.
बैंक ने आरोप लगाया कि जेआईएल के फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला कि उसने कुल कमीशन खर्चों में से ‘संबंधित कंपनियों’ को 1,410.41 करोड़ रुपये का भुगतान किया, इस प्रकार धन की हेराफेरी की गई.
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