भरत तिवारी/जबलपुर :संस्कारधानी जबलपुर में एक ऐसा दैविक चमत्कारिक स्थान है जिसकी स्थापना के पीछे कई बड़े रहस्य छुपे हुए हैं जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे. हम बात कर रहे हैं जबलपुर के व्यस्ततम बाजार गंजीपुरा में स्थित इस शेषनाग गणेश मंदिर की, इस मंदिर से जुड़ी काफी कथाएं प्रसिद्ध है. जब हमने उन कथाओं को टटोलना चाहा तो कई राज खुलकर सामने आए जिन्हें सुनकर हम भी हैरान हुए की क्या वाकई ऐसा हुआ होगा?. जब हमने वहां मौजूद लोगों से इस बारे में बात करके देखा तो उन्होंने इस मंदिर और यहां स्थापित भगवान गणेश की इस प्रतिमा से जुड़े कई रहस्य खोल दिए.
उन्होंने बताया कि वर्ष 1985 में उन्होंने गणेश उत्सव का शुभारंभ गांजीपुरा के उसे इलाके में शुरू किया था. जहां हर वर्ष विभिन्न प्रकार की भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाती थी, जिसमें सिक्के के गणेश, केले के गणेश, ईटो के गणेश, मोम के गणेश जी की प्रतिमा घर साल स्थापित कर उत्सव को धूमधाम से मनाया जाता था. इसी तरह वर्ष 1996 में नागपुर के प्रसिद्ध गणेश टेकरी की मिट्टी लाकर यहां उनकी हूबहू प्रतिमा बनाकर गणेश उत्सव को धूमधाम से मनाया गया
विसर्जन के समय क्रेन और जेसीबी जैसी मशीनों ने भी थोड़ा दम.
वर्ष 1996 में नागपुर के प्रसिद्ध गणेश टेकरी मंदिर की मिट्टी लाकर यहां पर उनकी आकृति बनाकर स्थापित कराई गई थी, इसके बाद पूरे उत्सव को 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया गया और जब गणेश विसर्जन का समय आया तो समिति के सदस्यों और श्रद्धालुओं ने बहुत प्रयास किए लेकिन उस जगह से कोई भी नागपुर के गणेश टेकरी वाले प्रसिद्ध भगवान गणेश की उसे आकृति वाली इस प्रतिमा को वहां से न हिला पाया. प्रभु के चमत्कार के सामने जेसीबी और क्रेन जैसी आधुनिक मशीनों ने भी दम तोड़ दिया काफी मेहनत करने के बाद जब भगवान गणेश की उस प्रतिमा को वहां से कोई नहीं हिला पाया, तो सभी लोगों ने उन्हें वहीं स्थापित करने का फैसला किया. उस वर्ष से लेकर आज तक गणेश जी की वह प्रतिमा शेषनाग गणेश जी के नाम से पूरे संस्कारधानी में प्रसिद्ध है और वहां भगवान गणेश का मंदिर स्थापित कर दिया गया.
हूबहू प्रतिमा बनाकर किया उनका किया विसर्जन.
जब बहुत मेहनत करने के बाद भी प्रतिमा हिलाने में लोग नाकाम रहे तो उन्होंने POP की एक हूबहु प्रतिमा बनाकर उस प्रतिमा का धूमधाम से विसर्जन किया और गणेश टेकरी मंदिर की उस मिट्टी से बनी हुई भगवान गणेश की उसे प्रतिमा को वहां स्थापित कर लिया. तब से लेकर आज तक कई चमत्कार उस मंदिर में होते हुए देखे गए, इस मंदिर की स्थापना हजारों वर्ष पुराने पीपल के वृक्ष के नीचे की गई और तब से लेकर आज तक भगवान श्री गणेश वहां विराजित होकर अपने भक्तों को अपना आशीर्वाद दे रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 13, 2023, 20:00 IST