बेहद अनोखा है ये नाला…दो दिशाओं में बहता है इसका पानी, IAS और PCS में पूछे जाते हैं सवाल

सनन्दन उपाध्याय/बलिया: जनपद में पूर्वांचल का एक अनोखा और ऐतिहासिक नाला प्रवाहित होता है जो कष्टहर नाला के नाम से जाना जाता था. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये नाला छह महीने दक्षिण से उत्तर तो छः माह उत्तर से दक्षिण की तरफ बहता है. इस नाले को बलिया जिले का ऐतिहासिक धरोहर कहा जाता है. यही नहीं आईएएस और पीसीएस में भी इससे जुड़े यह प्रश्न पूछे जाते है. इस नाले का काफी महत्व है यह तमाम संजीवनी जैसी औषधीयों को भी जन्म देता है.

पर्यावरणविद् डॉ. गणेश कुमार पाठक बताते हैं कि यह पूर्वांचल का एक अनोखा नाला है. जिसका प्राचीन और सही नाम कष्टहर नाला था. जो कालांतर में अपभ्रंश होकर कटहर नाले के नाम से मशहूर हो गया. इससे संबंधित प्रश्न आईएएस पीसीएस में भी पूछे जाते हैं. जिले का यह एक ऐतिहासिक धरोहर है. भौगोलिकविदों, पर्यावरणविदों और इतिहासकारों द्वारा कई जगहों पर इसका पौराणिक जिक्र भी आया है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि यह छः महीना उल्टा और छः महीना सीधा बहता है.

ये है इस नाले का इतिहास
जनपद में सबसे प्राचीन जल का स्रोत कष्टहर नाला एक ऐतिहासिक धरोहर है. यह कष्टहर नाला सीधे गंगा को सुरहा ताल से जोड़ता है. जब गंगा में बाढ़ आती है तो उसके जल को ले जाकर सुरहा ताल में छोड़ता है और वर्षा के समय अतिरिक्त जल को सुरहा ताल से गंगा में छोड़कर जनपदवासियों के कष्टों का निवारण करता है. जिसके कारण इसको गोखुर झील भी कहा जाता है. यह गंगा के छाड़न का क्षेत्र है. यहां की मिट्टी किसानों के लिए वरदान है. जिसका मुख्य वजह ऐतिहासिक कष्टहर नाला है. इस कष्टहर नाले से संबंधित प्रश्न आईएएस पीसीएस में भी पूछे जाते हैं कि आखिर ऐसा कौन सा नाल है जो छः महीना उल्टा और छः महीना सीधा बहता है.

तमाम औषधीयों को देता है जन्म
यह कष्टहर नाला जिले के लिए न केवल ऐतिहासिक धरोहर है बल्कि तमाम औषधीयों का जन्मदाता भी है. इस नाले के माध्यम से तमाम जीवनदायनी औषधीयां जन्म लेती हैं. जो स्वास्थ्य के लिए वरदान होती हैं. कष्टहर नाला को पर्यटन के रूप में बनाकर नौकायन के रूप में विकसित करने से जनपद के अर्थव्यवस्था में भी विशेष कामयाबी मिल सकती है.

ये है पूर्वांचल का अनोखा नाला
इस पूरे प्रकरण पर इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने कहा कि यह एक कष्टहर नाला है जो कष्टों का हरण करने वाला है. यह पूर्वांचल का अनोखा नाला है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह छः महीना उल्टा और छः महीना सीधा बहता है. यह जिले का ऐतिहासिक धरोहर है. यह गंगा को सीधे सुरहा ताल से जोड़ता है. सरकार के द्वारा इस ऐतिहासिक धरोहर को विकसित करने के लिए प्रयास जारी है.

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FIRST PUBLISHED : November 15, 2023, 17:06 IST

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