बेस अस्पताल में लगी एफेरेसिस यूनिट,नहीं होगी डेंगू में जंबो पैक की कमी

कमल पिमोली/श्रीनगर गढ़वाल.पहाड़ों में डेंगू के मरीजों में तेजी से इजाफा हो रहा है. अस्पतालों में भी डेंगू के मरीजों की तादाद बढ़ने लगी है. वहीं डेंगू से बचाव के लिए फागिंग की जा रही है, साफ सफाई के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इस बीच बेस अस्पताल में स्वास्थय सुविधाओं को ओर बेहतर करने व डेंगू के दौरान किसी तरह की कोई जनहानी न हो इसके लिए बेस अस्पतालों में स्वास्थय सेवाओं को दुरुस्त किया जा रहा है.

राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के बेस चिकित्सालय के ब्लड़ बैंक में एफेरेसिस यूनिट स्थापित किया गया है. प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की पहल पर बेस चिकित्सालय के ब्लड़ सेंटर में ऐफेरेशिस मशीन की स्थापना की गई, जिससे डेंगू समेत अन्य बीमारियों के मरीजों को लाभ मिलेगा.

क्या है एफेरेसिस यूनिट
बेस अस्पताल के ब्लड बैंक में स्थापित एफेरेसिस यूनिट में अत्याधुनिक मशीन की मदद से मरीज की जरूरत के हिसाब से डोनर के ब्लड से प्लाज्मा, आरबीसी और प्लेटलेट्स निकाला जा सकता है. इस मशीन का प्रयोग प्लेट्लेट्स के जंबो पैक तैयार करने के लिए होगा, जिससे डेंगू मरीजों, एनमिक गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को लाभ मिलेगा.
जंबो पैक के लिए होती थी मारामारी
आपको बता दें कि इससे पहले जंबो पैक के लिए मरीजों के तीमारदारों को काफी भटकना पड़ता था. डेंगू के सीजन में इसके लिए मारामारी होती है, डेंगू मरीजों एवं एनीमिक गर्भवती महिलाओं को जंबो पैक चढ़ाने से एक बार में 50 से 70 हजार तक प्लेटलेट्स बढ़ जाती हैं. यहां स्थापित एफेरेसिस मशीन से सिंगल डोनर प्लेट्लेट्स (एसडीपी) मरीज की जरूरत के हिसाब से प्लेटलेट्स निकाली जा सकेंगी, विदित हो कि निजी अस्पतालों के ब्लड बैंकों से जंबो पैक की कीमत हजारों में होती है, किंतु बेस अस्पताल के ब्लड बैंक सेंटर में एफेरेसिस यूनिट स्थापित होने से चमोली, टिहरी, पौड़ी व रूद्रप्रयाग जिले के हजारों मरीजों को इसका सीधा लाभ मिलेगा.

ब्लड से प्लेटलेट्स अलग करने की ये है प्रक्रिया
बेस अस्पताल के ब्लड़ सेंटर के प्रभारी डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि एफेरेसिस मशीन से सिंगल डोनर प्लेट्लेट्स (एसडीपी) मरीज की जरूरत के हिसाब से प्लेटलेट्स निकाली जा सकेंगी. प्लेटलेट्स देने वाले व्यक्ति के शरीर में 72 घंटे में रिकवरी हो जाती है. प्लेटलेट्स निकालने में करीब एक घंटे का समय लगता है. मशीन स्थापित होने के पहले दिन बेस अस्पताल में एक डोनर के ब्लड से प्लेटलेट्स अलग किया गया.

एसडीएम रख रही अस्पताल की व्यवस्थाओं पर नजर
बेस अस्पताल पर्वतीय जिलों का हायर सेंटर होने के चलते यहां हजारों की संख्या में मरीज पहुंचते हैं. ऐसे में जिलाधिकारी पौड़ी के निर्देशों पर लगातार एसडीएम श्रीनगर नुपुर वर्मा अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर नजर बनाये हुए है. वहीं बेस अस्पताल के एमएस रविंद्र बिष्ट ने बताया कि अस्पताल में प्लेटलेट्स की कोई कमी नहीं है. अगर कोई अपने साथ फ्रेश डोनर लाना चाहता है तो अच्छी बात है. अन्यथा प्लेटलेट्स की कोई कमी नहीं है. बताया कि सभी सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है.

Tags: Health, Local18, Pauri Garhwal, Uttarakhand news

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