बेडरूम में किया कैद, लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग में रिकॉर्ड की हर हरकत, फिर इज्जत बचाने को देने पड़े 56 लाख!

गुरुग्राम: साइबर सिटी गुरुग्राम में ठगी का एक बेहद संवेदनशील मामला सामने आया है. यहां ठगों ने एक परिवार को बुरी तरह प्रताड़ित किया है. उन्होंने फैमिली को करीब 24 घंटे तक बेडरूम में कैद रहने पर मजबूर किया. उनकी हरकतों को कैमरे में कैद करते रहे. फिर वे परिवार को ब्लैकमेल करने लगे और इज्जत बचाने की खातिर परिवार को 56 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ा.

दरअसल, गुरुग्राम साइबर अपराध थाने में यह संवेदनशील मामला दर्ज हुआ है. साइबर ठगों द्वारा एक व्यक्ति से 56 लाख रुपये से अधिक की ठगी की गई है. पुलिस ने कहा है कि आरोपियों ने कथित तौर पर खुद को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी और मुंबई की साइबर अपराध शाखा का पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) बताया. उन लोगों ने पीड़ित को एक दिन के लिए घर में कैद में रहने पर मजबूर किया.

पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक गुरुग्राम के सेक्टर 51 के रहनेवाले देबराज मित्रा द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, उन्हें 11 फरवरी को मुंबई से एक फोन आया. फोन करने वाले ने बताया कि पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड, नशीले पदार्थ और लैपटॉप की एक खेप ताइवान से आई है और सीमा शुल्क विभाग द्वारा इसे रोक लिया गया है. बाद में उनकी बात मुंबई अपराध शाखा के कथित अधिकारियों से कराई गई.

फोन करने वाले ने खुद को सहायक उपनिरीक्षक बताते हुए स्काइप के जरिए उनसे संपर्क किया और उनके आधार कार्ड की जानकारी और फोटो ले ली. उन्होंने दावा किया कि वे मुंबई अपराध जगत से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आधार के लिंक होने की जांच करेंगे.

स्काइप पर वीडियो कॉल
मित्रा ने शिकायत में कहा, ‘स्काइप पर वीडियो कॉल के जरिए मुझे 24 घंटे निगरानी में रखा गया. मुझे स्काइप से एक सूचना भी मिली कि मामला सीबीआई के आर्थिक विभाग में दर्ज है और वे मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच कर रहे हैं. सीबीआई ऑफिस रविवार को बंद है, इसलिए डीसीपी सोमवार को मामले में शामिल होंगे. मैं पूरे रविवार कमरे में कैद की स्थिति में रहा.’

उन्होंने कहा, ‘बाल सिंह राजपूत नाम के किसी व्यक्ति ने सोमवार की सुबह खुद को मुंबई साइबर अपराध का डीसीपी बताते हुए कहा कि फिक्स डिपॉजिट, शेयर और म्युचुअल फंड से सभी निवेश वापस ले लिए गए हैं और निगरानी के लिए मामले को एक बैंक में स्थानांतरित किया जाना है. आरोपियों ने बताया कि निवेश का संबंध एक आतंकवादी समूह के लेनदेन से है.’

खाते में जमा कराए 56 लाख
पीड़ित के अनुसार, उन्होंने दिए गए खाते में कुल 56,70,000 रुपये जमा किए और उन्होंने वादा किया कि जांच के बाद पैसे वापस कर दिए जाएंगे. जब बाद में उन्हें पूरी घटना पर संदेह हुआ तो उन्होंने शिकायत दर्ज कराई. साइबर अपराध थाने में शिकायत के बाद एफआईआर दर्ज की गई. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वे मामले की जांच कर रहे हैं और आरोपियों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है.

इनपुट भाषा

Tags: Cyber Crime

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