श्रवण कुमार महंत
अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के कलेक्ट्रेट सभा कक्ष में महिला आयोग की जन सुनवाई हुई. इसमें 55 मामले की सुनवाई की गई, जिसमें एक ऐसा अनोखा मामला सामने आया जिसको सुनकर आप भावुक हो जाएंगे. दरअसल, 20 साल से माता-पिता बच्चे को पाने दर-दर भटकते रहे हैं. जब खोया हुआ बच्चा माता-पिता को मिला उससे पहले 18 साल की उम्र में बच्चे की मौत हो गई थी. माता-पिता ने बच्चे की मौत के बाद DNA टेस्ट के लिए महिला आयोग से फरियाद लगाई है ताकि ये साबित हो सके की मृत बच्चा उन्ही का है.
मामला जशपुर जिले के ग्राम झरगांव का है. पीड़ित पिता ने बताया कि 20 जून 2000 को अपनी पत्नी कौसिल्या को प्रसव के लिए कुनकुरी के निजी अस्पताल में भर्ती कराया था. प्रसव में महिला ने स्वस्थ बेटे को जन्म दिया, लेकिन अस्पताल से बच्चा गायब हो गया. फिर बेटी जन्मी है कहकर अस्पताल प्रबंधन ने मृत बच्ची को जबरन देकर चलता कर दिया. लेकिन बच्चे की मां को यकीन था कि उसका बच्चा मृत जन्म नहीं लिया है. शिक्षक पिता और उसकी पत्नी ने उस तारीख में निजी अस्पताल में जन्म लिए बच्चे की तलाश शुरू की.
DNA टेस्ट करने का निर्देश
पीड़ित पिता का कहना है कि एक दिन जशपुर जिले के चराईडांड़ में माता पिता की तलाश ख़त्म हो गई. अस्पताल से गायब बेटा जिन्दा मिला. पीड़ित मां ने चौथे मृत बच्चे के बाद 5 वें बेटे को जन्म दिया था. मां की ममता ने अपने बच्चे को ढूंढ निकाला. इधर बच्चे के मिलने के बाद अपने कलेजे के टुकड़े को पाने 20 साल तक थाना और अधिकारियों के दफ़्तरों के चककर कटते रहे. जब बच्चा 18 साल का हुआ तो माता पिता के शक्ल का दिखने लगा.
महिला आयोग में शिकायत करने के बाद सुनवाई होने वाली थी कि बच्चे की मौत हो गई. इसके बाद माता पिता ने महिला आयोग से फरियाद लगाया है कि बच्चे की लाश को कब्र से खुदवाकर DNA टेस्ट कराया जाए ताकि ये पहचान हो सके की जिस बच्चे की तलाश माता पिता 20 साल से कर रहे थे वो बच्चा उन्ही का है. इधर महिला आयोग ने मामला को संवेदनशील बताते हुए माता पिता के पक्ष में सुनवाई की है. जशपुर कलेक्टर और एसपी को जल्द बच्चे का DNA टेस्ट करने के निर्देश दिए है.
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FIRST PUBLISHED : February 29, 2024, 11:30 IST