हाइलाइट्स
अभिनेता के बालपन में मन का द्वंद्व और अपने पिता बदल दिया सरनेम.
बिहार के बड़े एक्टर ने अपना सरनेम बदलने से पहले खूब किया मंथन.
एक्टर ने स्वयं का और अपने पिता का सरनेम बदलने की बताई कहानी.
पटना. एक पुत्र का सरनेम पिता को मिलने का मामला बिहार के गोपालगंज का है. यह कहानी उस अभिनेता के साथ जुड़ा है जिनकी एक चर्चित फिल्म ‘मैं हूं अटल’ आने वाली है. इस फिल्म का ट्रेलर बीते दिसंबर में ही रिलीज किया गया है. भारत के तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे श्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं. उनका जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं. अब अटल जी की जीवन यात्रा को लेकर बड़े पर्दे पर आने वाली फिल्म में बिहार के पंकज त्रिपाठी अटल जी का किरदार निभा रहे हैं. इस फिल्म में पंकज त्रिपाठी के अभिनय के लोग कायल हो गए हैं. हाल में ही उन्होंने जब इस फिल्म को लेकर एक टेलिविजन चैनल में इंटरव्यू दिया तो उन्होंने यह भी बताया कि उनका सरनेम कैसे बदला गया और कैसे यह उनके पिता के साथ भी लग गया.
बता दें कि पंकज त्रिपाठी बिहार में गोपालगंज जिले के बेलसांड गांव के रहने वाले हैं. यहां बीते अगस्त में उन्होंने अपने दिवंगत पिता पंडित बनारस तिवारी उर्फ पंडित बनारस त्रिपाठी के नाम से पुस्तकालय का उद्घाटन किया. पिछले वर्ष ही पंकज त्रिपाठी के पिता का निधन 98 वर्ष की आयु में हो गया था. आइए जानते हैं कि क्या है वो कहानी जब पंकज त्रिपाठी के पिता के सरनेम में तिवारी की जगह त्रिपाठी लग गया.
ऐसे बदल गया अभिनेता के पिता का सरनेम
दरअसल, मूल रूप से त्रिपाठी जाति के ब्राह्मण उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब और नेपाल में निवास करते हैं. इसके अतिरिक्त त्रिपाठी, तिवारी, तिवाड़ी या त्रिवेदी असम, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी होते हैं. इन ब्राह्मणों को यर सरनेम इसलिए मिला क्योंकि कहा जाता है कि इन्हें त्रिवेद यानी तीन वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद) का ज्ञान होता है, इसीलिए त्रिवेदी, तिवारी या त्रिपाठी कहे जाते हैं. पंकज त्रिपाठी के पिता के टाइटल तिवारी से त्रिपाठी बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है. उन्होंने अपने इंटरव्यू में स्वयं बताया है कि पंकज तिवारी से वह कैसे पंकज त्रिपाठी बन गए और फिर कैसे उनके पिता का भी टाइटल (सरनेम) बदला चला गया.
पंकज त्रिपाठी ने बताई सरनेम चेंज की पूरी स्टोरी
पंकज त्रिपाठी ने बताया कि उनके चाचा और अन्य परिजनों के त्रिपाठी टाइटल हुआ करते हैं. उन्होंने बचपन में देखा कि उनके परिवार में (त्रिपाठी सरनेम वाले) चाचा सरकारी जॉब में अधिकारी बन गए थे. एक बाबा (जो त्रिपाठी थे) थे जो हिंदी के प्रोफेसर बन गए थे. वहीं, जितने तिवारी सरनेम के थे वे सभी या तो कर्मकांड और पूजा पाठ करते थे या फिर किसानी करते थे. ऐसे में उन्हें (पंकज त्रिपाठी) लगा कि हो न हो यह कहीं सरनेम का चक्कर तो नहीं है. पंकज तिवारी की यह सोच बन गई कि कहीं अपने सरनेम (तिवारी) के चक्कर में उन्हें भी पूजा पाठ, कर्मकांड या खेती न करना पड़े. मन में काफी मंथन किया और अंत में अपना सरनेम चेंज करने का सोच लिया.
पंकज त्रिपाठी के मन का द्वंद्व और टाइटल हो गया चेंज
पंकज त्रिपाठी ने बताया कि अगर कुछ नहीं होता तो खेती किसानी और कर्मकांड व पूजा पाठ तो विकल्प उनके पास था ही. लेकिन, जब मैट्रिकुलेशन का फॉर्म भरने का आया तो उन्होंने अपना सरनेम पंकज तिवारी से पंकज त्रिपाठी कर लिया. लेकिन, फॉर्म भरते वक्त पिता के नाम के आगे पंडित बनारस तिवारी ही था. ऐसे में पंकज त्रिपाठी को लगा कि कहीं इस तिवारी सरनेम के चक्कर में उनके रिजल्ट में गड़बड़ी न हो जाए, इसलिए पिता का टाइटल (सरनेम) भी बदलकर पंडित बनारस तिवारी से पंडित बनारस त्रिपाठी कर दिया.
पंकज त्रिपाठी ने ‘मैं अटल हूं’ में निभाई है मुख्य भूमिका
बता दें कि अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने हिंदी फिल्म जगत में ‘रन’ सिनेमा में एक छोटे से फिल्म से शुरुआत की थी. इसके बाद छोटे-मोटे रोल करते हुए वे आगे बढ़े. इसी क्रम में अपराध पर बनी अनुराग कश्यप की मशहूर फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ (2012) में उनकी भूमिका के लिए खास पहचान मिली. इसके बाद तो उन्होंने कई उल्लेखनीय सहायक भूमिकाएं कीं और बाद में वह मुख्य भूमिका निभाने लगे. अब उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण फिल्म ‘मैं अटल हूं’ आगामी 19 जनवरी को रिलीज होने वाली है. बता दें कि पंकज त्रिपाठी की पत्नी का नाम मृदुला त्रिपाठी और बेटी का नाम आशी है. वह इन दोनों के साथ प्राय: सोशल मीडिया में तस्वीरें शेयर करते रहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 9, 2024, 10:28 IST