बेटी ने मां की यादों को रखा जिंदा! फिर वो 90 मिनट का फासला और 5 लोगों को जीवनदान

रोहतक. हरियाणा के रोहतक शहर में स्वास्थ्य संस्थान पीजीआई (Rohtak Pgi) में ऑर्गन डोनेशन (Organ Donations) का पहला केस सामने आया है. स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन को एक ब्रेन डेड महिला के परिजनों ने उनके ऑर्गन्स डोनेट किए हैं. एक बेटी ने अपनी ब्रेन डेड (Brain Dead) मां के अंगदान का फैसला लिया और तीन लोगों को जीवनदान के अलावा, दो लोगों के जीवन में रोशनी भर दी.

हेल्थ यूनिवर्सिटी की कुलपति डॉ अनीता सक्सेना ने बताया कि करीब 43 वर्षीय एक महिला 30 जनवरी को ब्रेन हेमरेज होने के चलते पीजीआईएमएस के न्यूरो सर्जरी विभाग में आईसीयू में भर्ती कराई गई. इलाज के दौरान पता चला कि मरीज ब्रेन डेड है. ऐसे में डॉक्टर्स ने डेथ सर्टिफिकेट कमेटी को अपना अलर्ट भेजा. इस पर निदेशक डॉ एस. एस. लोहचब और चिकित्सा अधीक्षक डॉ कुंदन मित्तल ने तुरंत प्रभाव से कमेटी बनाकर मरीज की क्लीनिकल जांच और परीक्षण समेत सभी मेडिकल जांच करने के आदेश दिए, जिसमें कमेटी ने पाया कि मरीज ब्रेन डेड हो चुका है.

मरीज के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद सोटो की तरफ से नोडल अधिकारी डॉ सुखबीर सिंह, ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर दीप्ति ने परिवार से संपर्क किया और उन्हें अंगदान के बारे में बताया. इस पर महिला की बेटी ने अपनी मां की यादों को जिंदा रखने का फैसला लिया और किडनी, लीवर, हृदय व आंखें दान करने की सहमति प्रदान की. इसके बाद तुरंत प्रभाव से हरियाणा व अन्य राज्यों में अलर्ट भेजा गया, जहां से अलग-अलग अस्पतालों की टीमें अंग लेने के लिए पीजीआइएमएस रोहतक पहुंची.

पीजीआईएमएस सिक्योरिटी और प्रशासन के सहयोग से ग्रीन कॉरिडोर बनवाकर 90 मिनट से भी कम समय में महिला के लिवर को दिल्ली पहुंचाकर ट्रांसप्लांट करवाया गया. उन्होंने बताया कि प्रशासन के सहयोग से तीन ग्रीन कॉरिडोर बनवाए गए थे, लेकिन कुछ कारणों के चलते पीजीआई चंडीगढ़ को किडनी नहीं भेजी जा सकी और रोहतक के ही दो मरीजों को किडनी लगाई गई, दो मरीजों को कॉर्निया लगाया गया, जबकि दिल्ली में लिवर भेजा गया.

Rohtak PGI, Organ Donations

बेटी ने अपनी ब्रेन डेड मां के अंगदान का फैसला लिया और तीन लोगों को जीवनदान के अलावा, दो लोगों के जीवन में रोशनी भर दी.

बेटी का जताया आभार

सोटो के नोडल अधिकारी डा. सुखबीर बराड़ और डा. विवेक ठाकुर ने बताया कि किस तरह से ट्रांसप्लांट की इस पूरी प्रक्रिया को सफल बनाया गया. उन्होंने महिला के परिजनों का भी धन्यवाद किया और बताया कि कैसे वह मरने के बाद भी कई लोगों को जीवनदान दे गई.

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