सोनिया मिश्रा/ उत्तरकाशी. साल 2022, तारीख थी 28 मई, भारतीय इतिहास में पहली बार कुछ ऐसा हुआ था, जो पहले कभी नहीं हुआ. उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक के लौंथरु गांव की बेटी सविता कंसवाल (Savita Kanswal) भारत की ऐसी पहली महिला पर्वतारोही बनीं, जिन्होंने केवल 16 दिनों में माउंट मकालू और दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर इतिहास रचा था. बेहद कठिन परिस्थितियों से निकलकर और दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का सफल आरोहण करने वाली सविता को मरणोपरांत तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार 2022 (Tenzing Norgay National Adventure Award 2022) से नवाजा गया है.
नम हो गईं पिता की आंखें
सविता के पिता राधेश्याम कंसवाल जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों राष्ट्रपति भवन में यह पुरस्कार ग्रहण कर रहे थे, तो उनकी नम आंखें पूरे देश ने देखी. मां कमलेश्वरी देवी और बहन के भी आंसू न रुक सके. सविता ने 2013 में नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (NIM) उत्तरकाशी से माउंटेनियरिंग में बेसिक और फिर एडवांस कोर्स किया था. वह कोर्स पूरा करने के बाद इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर लाखों-करोड़ों लोगों की प्रेरणा बन गईं. सविता भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका जज्बा और जिजीविषा हम सबके लिए एक बहुत बड़ा उदाहरण है कि कैसे मुश्किलों से पार पाकर बड़ी से बड़ी चुनौती को पार किया जा सकता है.
पर्वतारोहण के इतिहास का काला दिन
गौरतलब है कि 4 अक्टूबर 2022 को उत्तरकाशी में द्रौपदी का डांडा चोटी पर चढ़ाई के दौरान 29 सदस्यीय पर्वतारोही का दल एवलांच की चपेट में आ गया था, जिसमें सविता कंसवाल की भी बर्फ में दबकर मौत हो गई थी. यह एवलांच पर्वतारोहण के इतिहास में काला दिन माना जाता है. सविता को मरणोपरांत यह पुरस्कार मिलने पर क्षेत्र के लोगों ने खुशी जताई है.
आर्थिक तंगी में गुजरा बचपन
सविता कंसवाल का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा था. उनके पिता राधेश्याम और मां कमलेश्वरी ने खेती-बाड़ी से परिवार का पालन-पोषण किया. सविता की पढ़ाई उत्तरकाशी के सरकारी स्कूल से हुई थी. उन्हें बचपन से ही एडवेंचर स्पोर्ट्स का शौक था. 11 साल की उम्र में सविता ने NCC ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी. परिवार उनके NCC में जाने के पक्ष में नहीं था. 2013 में उन्होंने NIM से पर्वतारोहण का बेसिक और फिर बाद में अपनी सैलरी से पैसे बचाकर एडवांस कोर्स किया. वह 2018 से NIM में बतौर ट्रेनर काम कर रही थीं. सविता ने मेहनत और लगन के साथ 12 मई 2022 को माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी की. वह माउंट ल्होत्से चोटी पर तिरंगा लहराने वाली देश की दूसरी महिला पर्वतारोही बनीं.
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FIRST PUBLISHED : January 10, 2024, 17:00 IST