अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ : आर्मी रेस कोर्स में लंबे वक्त से एक बादशाहत कायम है, जिसका नाम है जेएन माथुर, इनके घोड़े की रफ्तार बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा तेज है. जब माथुर साहब के घोड़े दौड़ते हैं तो हवा से बात करते हुए नजर आते हैं. इनके आगे बाकी सभी घोड़े फेल हो जाते हैं. इनके घोड़ों पर भी रेस कोर्स से मौजूद हर शख्स आंखें बंद करके बोली लगा लेता है और बोली लगाने वाला भी जीत जाता है.
दरअसल ये घोड़े हैं लखनऊ के रहने वाले जेएन माथुर का जो लखनऊ के हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं. जेएन माथुर को बचपन से ही घोड़ों का शौक है. परिवार में भी घोड़े थे इसीलिए पिछले 30 साल से इनके अलग-अलग घोड़े रेस कोर्स की कमांडर कप के लिए दौड़ लगा रहे हैं. खास बात यह है कि इस साल की आर्मी कमांडर कप जेएन माथुर ने अपने नाम किया है.
डार्क टाइगर पर था सभी का दांव
जेएन माथुर ने बताया कि उनके तीन घोड़े रेस में दौड़ रहे थे पहला हार्टी, दूसरा डार्क टाइगर और तीसरा शान-ए-अजीम. हार्टी नया घोड़ा है इसकी उम्र आठ साल है. इसे दिल्ली से लाया गया था. दो रेस यह दौड़ चुका है. एक हिल्टन कप इसने जीता था. यह इसकी तीसरी रेस थी और इसी ने इस बार आर्मी कमांडर कप भी जीता. जिसके लिए बेहद खुशी है क्योंकि इस घोड़े पर दांव नहीं लगाया था. बल्कि हमने जीतने का दांव लगाया था डार्क टाइगर. गौरतलब है कि डार्क टाइगर तीन आर्मी कमांडर कप जीत चुका था. इस बार डार्क टाइगर तीसरे नंबर पर आया जबकि हार्टी घोड़ा प्रथम आया है.
गाजर और चोकर है घोड़ों की डाइट
जेएन माथुर के घोड़ों को ट्रेनिंग देने वाले कुमैल यावर हसन ने बताया कि पिछले 30 सालों से वह घोड़ों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. ये घोड़े सुबह के वक्त रोज दौड़ते हैं. इनको फिट रखने के लिए रोज सुबह इन्हें दौड़ाया जाता है. बात करें इनकी डाइट की तो ये गाजर, चोकर के साथ ही कई किलो चारा और अनाज खाते हैं. सभी घोड़े की लंबाई-चौड़ाई बहुत ज्यादा है और रेस जीतने के लिए इन्हें फिट भी रखना पड़ता है, इसीलिए इनका एक छोटे बच्चों की तरह ही ख्याल रखना पड़ता है. उन्होंने बताया कि कमांडर कप जीत कर बेहद खुशी हो रही है.
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FIRST PUBLISHED : March 11, 2024, 15:04 IST