बीते वर्ष में आत्मनिर्भर बनने के संकल्प के पथ पर भारत ने नई रेखाएं खींची

बीते वर्ष में सकारात्मकता की नयी तस्वीरें सामने आयी। ज्यादातर बड़ी सकारात्मक खबरें आर्थिक उपलब्धियों और नये राजनीतिक समीकरणों से जुड़ी हैं। साल के अंत में हुए विधानसभा चुनावों, महिला सशक्तीकरण, सांस्कृतिक पुनर्जागरण, नए संसद भवन के उद्घाटन, हर क्षेत्र में स्वदेशी की शक्ति और संसदीय-राजनीति, सुप्रीम कोर्ट के कुछ बड़े फैसलों, चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 मिशन जैसी वैज्ञानिक उपलब्धियां निराशा से ज्यादा आशाभरी खबरों ने आजादी के अमृतकाल में वास्तविक रूप में अमृतमय होने के संकेत दिये हैं। भारत की दिशा एवं दशा बदल रही है। बीते वर्ष में राजनीति से लेकर सामाजिक, आर्थिक से लेकर खेल तक, सुरक्षा से लेकर सौहार्द तक अनेक सकारात्मक दृष्टिकोण ने सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास को बल दिया है। चीन के हैंगजाऊ में हुए एशियाई खेलों में कई प्रकार के रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारतीय खिलाड़ियों ने खेल की दुनिया में बड़ा कदम रखा। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है पदक तालिका में ‘सौ से अधिक पदक’ प्राप्त करना करना। यह उपलब्धि देश के आकार को देखते हुए पर्याप्त नहीं है, पर पिछले प्रदर्शनों से इसकी तुलना करें, तो बहुत बड़ी है। यह भारत के विकसित होते बदलते सामाजिक-आर्थिक स्तर को भी रेखांकित कर रही है। शेयर मार्केट तमाम कयासों को झुठलाते हुए उच्चस्तर पर बना हुआ है। जीडीपी में बढ़ोतरी हो रही है, साथ ही जीएसटी कलेक्शन भी बढ़ा हुआ है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 15 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह में 20 माह के उच्चतम स्तर 616 अरब डॉलर हो गया है। 25 मार्च, 2022 के बाद का यह उच्चतम स्तर है।

आत्मनिर्भर बनने के संकल्प के पथ पर दौड़ रहे भारत ने हर क्षेत्र में स्वदेशी का लोहा मनवाया है। हमने युद्धपोत और हल्के लड़ाकू विमान से लेकर घातक ड्रोन तक बनाया है। देश में इस्तेमाल होने वाले 99 प्रतिशत मोबाइल हम खुद बना रहे हैं। अपने बूत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर भारत ने पूरी दुनिया को चौंकाया है। 85 से अधिक देशों को भारत स्वदेशी हथियार, उपकरण, ड्रोन, कलपुर्जे निर्यात कर रहा है। रक्षा उत्पादों में हम आत्मनिर्भर बन रहे हैं। रक्षा उत्पादों के निर्यात में वर्ष 2013-14 की तुलना में 23 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। प्रसिद्ध लोकोक्ति है कि अपनी बुद्धि से साधु होना अच्छा, पराई बुद्धि से राजा होना अच्छा नहीं। लेकिन हम अपनी बुद्धि, कौशल एवं तकनीक से राजा बन रहे हैं। 

वर्ष 2023 महिलाओं की दृष्टि से ऐतिहासिक रहा। खेल, राजनीति, विज्ञान, व्यापार जैसे क्षेत्रों में महिलाओं ने खूब नाम कमाए हैं। देश में सावित्री जिन्दल का नाम सबसे धनाढ्य महिलाओं में सामने आया, इसी तरह अनेक महिलाएं आर्थिक क्षेत्र में नये कीर्तिमान गढ़ रही है। इस वर्ष में महिला सशक्तीकरण का बिगुल तब बजा जब सितंबर माह में ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ का उद्घोष हुआ। संसद में केंद्र सरकार ने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की घोषणा की, यह ऐतिहासिक निर्णय नारी-भविष्य की तस्वीर बदल देगा। वर्तमान में लोकसभा के कुल 543 सदस्य हैं। वर्तमान में मौजूद सदन में महिलाएं 82 हैं। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के प्रभावी होने के बाद 181 महिला सांसद होगी। यह अंतर आंकड़ों भर का नहीं होगा अपितु यह अंतर एक सशक्त देश की तस्वीर उकेरेगा। घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न के दाग 2023 के अध्याय को कलंकित करते हैं, परंतु राहत की बात यह है कि केंद्रीय गृहमंत्री ने हाल ही में न्याय प्रणाली में सुधार के लिए ‘भारतीय न्याय संहिता 2023’ सहित तीन विधेयक पेश किए। भारतीय न्याय संहिता 2023 सन् 1860 की पुरानी दंड संहिता की जगह लेगी। भारतीय न्याय संहिता 2023 की प्रमुख शक्तियों में से एक महिला के विरुद्ध अपराधों से संबंधित प्रावधानों को दी गई प्राथमिकता में निहित है। महिला उत्पीड़न पर कड़ी सजा का प्रावधान विश्वास दिलाता है कि महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों पर लगाम लगेगी। पिछले साल का अंत राहुल गांधी की ‘भारत-जोड़ो यात्रा’ के दिल्ली पड़ाव के साथ हुआ था और इस साल उस यात्रा का फलितार्थ था 26 प्रमुख विरोधी दलों ने 18 जुलाई को बेंगलुरु में ‘नए गठबंधन इंडिया’ की बुनियाद रखते हुए 2024 के लोकसभा चुनाव का बिगुल बजाना। राहुल गांधी के लोकसभा से अयोग्य घोषित होने और उनकी बहाली और संसद के शीत सत्र में 146 सांसदों के निलंबन ने संसदीय राजनीति से जुड़े कुछ गंभीर सवालों की ओर इशारा किया है।

हिंसा, आतंक एवं युद्ध की स्थितियों के बीच भारत ने सांस्कृतिक एवं धार्मिक उत्थान एवं उन्नयन की अपूर्व परिवेश भी निर्मित किया गया, भारत के गौरव को पुनःस्थापित करने की अनूठी पहल हुई है। पांच सौ वर्षों के बाद अयोध्या में श्रीराम नये वर्ष के प्रारंभ में टेंट से मंदिर में स्थापित होंगे। वाराणसी में विश्वनाथ धाम परिसर का लोकार्पण भारत की राजनीतिक सोच को एक नया आयाम एवं दृष्टि देने का विशिष्ट उपक्रम कहा जा सकता है। हमारे देश की धार्मिक-सांस्कृतिक परंपराएँ और आदर्श जीवन-मूल्य समृद्ध एवं सुदृढ़ रहे हैं, लेकिन पूर्व सरकारों ने उनके गौरव को राजनीतिक नजरिया देते हुए धूमिल किया है। लेकिन नये राजनीतिक सोच एवं सत्ता ने भारत को अपने सांस्कृतिक एवं धार्मिक वैभव से दुनिया को आकर्षित किया है, जो बीत वर्ष की सुखद घटनाएं कही जा सकती हैं। निश्चित रूप से काशी एवं अयोध्या राष्ट्रीयता का प्रतीक बनकर ये सशक्त भारत का आधार बनेगे। इससे न सिर्फ वहां जाने वाले श्रद्धालुओं को काफी सुविधा मिलेगी, बल्कि संकीर्ण दायरों में सिकुड़ते गए एक आस्था और सभ्यता के प्रतीक को भी गरिमा प्राप्त होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था थी, जिसे हटाए जाने का फैसला पूरी तरह संवैधानिक है। इस निर्णय ने अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाए जाने के 5 अगस्त, 2019 के फैसले पर कानूनी मुहर लगा दी। वैश्विक राजनीति में भारत के हस्तक्षेप की दृष्टि से दिल्ली में हुए जी-20 और शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

काशी परिसर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भव्य एवं शालीन तरीके से करते हुए प्रत्येक भारत को स्व-आस्था, स्व-संस्कृति एवं स्व-अस्तित्व का अहसास कराया है। भारत का सांस्कृतिक वैभव दुनिया में बेजोड़ रहा है, लेकिन तथाकथित राजनीतिक स्वार्थों एवं संकीर्णताओं के चलते इस वैभव को दुनिया के सामने लाने की बजाय उसे विस्मृत करने की कुचेष्टाएं एवं षड़यंत्र लगातार होते रहे हैं। सुखद स्थिति है कि अब हमारी जागती आंखो से देखे गये स्वप्नों को आकार देने का विश्वास जागा है तो इससे जीवन मूल्यों एवं सांस्कृतिक धरोहरों को सुरक्षित करने एवं नया भारत निर्मित करने का माहौल एवं मंशा देखने को मिल रही है, जो नये वर्ष के लिये शुभ है, नये एवं समृद्ध भारत के अभ्युदय का द्योतक है।

बीते साल ने दुःख एवं निराशा के दृश्य भी दिये हैं। हिमाचल प्रदेश की बाढ़, सिलक्यारा सुरंग, बालेश्वर (बालासोर) ट्रेन-दुर्घटना, मणिपुर की हिंसा और उसके दौरान वायरल हुए शर्मनाक वीडियो से जुड़ी निराशाओं को भी भुलाना नहीं चाहिए। गत 13 दिसंबर को संसद भवन हमले की सालगिरह पर शीतकालीन सत्र के दौरान कुछ लोग अंदर कूद गए और उन्होंने एक कैन से पीले रंग का धुआं छोड़ा। उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की सरेआम गोली मारकर हत्या की खबर ने इस साल काफी सुर्खियां बटोरी। अप्रैल के महीने में खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल को एक महीने तक लगातार पीछा करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। 

बीता वर्ष का हर दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्माई एवं जुझारू व्यक्तित्व एवं नीतियों के नाम रहा। उन्ही के कारण विश्व में भारत के लिये एक नया नजरिया विकसित हुआ। उनके नाम पर लड़े गये विधानसभा चुनावों में शानदार जीत हुई। तीनों राज्यों में भाजपा की सफलता के पीछे अनेक कारण हैं। मजबूत नेतृत्व, संगठन-क्षमता, संसाधन, सांस्कृतिक आधार और कल्याणकारी योजनाएं वगैरह-वगैरह। ‘जो आज तक नहीं हुआ वह आगे कभी नहीं होगा’ इस बूढ़े तर्क से बचकर भारत में नया प्रण जगायें। बिना किसी को मिटाये निर्माण की नई रेखाएं खींचें। यही साहसी सफर शक्ति, समय और श्रम को नये वर्ष में सार्थकता देगा।

– ललित गर्ग

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