भोपाल. लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने चुनावी बिगुल फूंक दिया है. भव्य राम मंदिर के पट जनता के लिए खुलने के बाद से पार्टी धर्म ओर हिंदुत्व की लहर पर सवार होकर 400 पार का शंखनाद कर चुकी है. पीएम नरेंद्र मोदी ने एमपी की सभी 29 सीट जीतने का जादुई फॉर्मूला पार्टी को दे दिया है. पार्टी ने मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए 68 फीसदी वोट हासिल करने का टारगेट रखा है. बीजेपी पीएम नरेंद्र मोदी के जादुई छड़ी वाले फॉर्मूले पर काम शुरू कर चुकी है. पार्टी ने सभी 64 हजार 200 बूथ के लिए माइक्रो लेवल पर प्लानिंग की है. बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार 58 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था.
इस बार पार्टी ने 10 फीसदी वोट शेयर ज्यादा यानी 68 फीसदी का टारगेट रखा है. पार्टी ने अपने विधानसभा चुनाव के बूथ मैनेजमेंट वाली टीम को एक्टिव कर दिया है. ये टीम ग्राउंड लेवल पर दस फीसदी वोट बढ़ाने के लिए काम शुरू कर चुकी है. वर्ष 2019 में बीजेपी ने 28 सीट पर कब्जा जमाया था. केवल छिंदवाड़ा सीट नहीं जीती थी. इस चुनाव में कांग्रेस को महज 34 फीसदी वोट हासिल हुए थे. बीजेपी इस साल के लोकसभा चुनाव में तीन मुद्दों मोदी सरकार के काम, हिंदुत्व की लहर, सर्जिकल स्ट्राइक को शामिल करेगी. साल 2014 में बीजेपी का वोट शेयर पहली बार 54.8 फीसदी हुआ था. उस वक्त बीजेपी ने 29 में से 27 सीटों पर कब्जा जमाया था. कांग्रेस को केवल 35.4 फीसदी वोट मिले थे. वह केवल दो सीटों पर सिमटकर रह गई. उस वक्त बीजेपी के तीन मुद्दे मोदी लहर, हिन्दुत्व, खेती-किसानी थे. साल 2009 के चुनाव में कांग्रेस के लिए बाजी अच्छी रही. उसे 6 फीसदी ज्यादा यानी 40.1 प्रतिशत वोट मिले थे. उसने 12 सीटों पर कब्जा जमाया था. उस वक्त बीजेपी 43.4 फीसदी वोट पाकर 16 सीट पर सिमट गई थी. बसपा को 5.9 प्रतिशत वोट मिल गए थे. बसपा ने 1 सीट जीती थी.
साल 2004 में ये था पार्टियों का हाल
साल 2004 में साल 2004 में बीजेपी ने 48.1 प्रतिशत वोट पाकर 29 में से 25 सीटें जीती थीं. कांग्रेस का वोट शेयर 7 प्रतिशत घटकर 34.1 फीसदी रह गया था. वह केवल चार सीटें जीत पाई थी. उस वक्त के चुनाव में उमा भारती के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार चल रही थी. बिजली और बदहाल सड़कें, इंडिया शाइनिंग और फीलगुड कैंपेन बेअसर हो गया था. साल 1999 में बीजेपी ने 46.6 प्रतिशत वोट हासिल किए. 29 सीटें जीतीं. कांग्रेस ने 43.9 फीसदी वोट पाकर 11 सीटें पाई थीं. वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ अलग राज्य बन गया. उस वक्त के चुनाव में 13 महीने की अटल सरकार से सहानुभूति थी. इसके अलावा बेरोजगारी-पलायन, अवैध खनन मुद्दे थे. साल 1998 में बीजेपी को 4 प्रतिशत वोट ज्यादा मिले थे. उसने 45.7 प्रतिशत वोट पाकर 30 सीटें जीती थीं. कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़कर 39.4 प्रतिशत हो गया था. उसे कुल 10 सीटें मिली थीं. उस वक्त पीएम के लिए अटल बिहारी वाजपेयी का चेहरा था. गठबंधन सरकारों से नाराजगी, कमजोर विदेश नीति मुद्दे थे.
64200 बूथों पर माइक्रो लेवल की प्लानिंग
गौरतलब है कि प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुख्य लड़ाई है. बसपा का दो फीसदी वोट बैंक खिसक चुका है. निर्दलीय प्रत्याशी मिलाकर तीन से चार प्रतिशत वोट हासिल कर लेते हैं. इस बार बीजेपी का प्लान है कि बसपा और निर्दलीय के बीच बंटने वाला वोट भी कमल के हिस्से में आ जाए. बीजेपी पीएम नरेंद्र मोदी के जादुई छड़ी वाले फॉर्मूले पर काम शुरू कर चुकी है. पार्टी ने सभी 64 हजार 200 बूथ के लिए माइक्रो लेवल पर प्लानिंग की है. हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने के टारगेट के साथ पार्टी रिकॉर्ड तोड़ जीत की रणनीति पर काम कर रही है. उसके लिए सबसे अहम कमलनाथ के गढ़ वाली छिंदवाड़ा सीट जीतना बड़ी चुनौती है. जीतने की चुनौती है, क्योंकि मोदी लहर में भी पार्टी इस सीट पर कब्जा नहीं जमा पाई थी.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने किया ये दावा
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में हमने 51 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था. हमने विधानसभा चुनाव में माइक्रो लेवल तक बूथ मैनेजमेंट किया था. इस बार के लोकसभा चुनाव में जो पीएम ने फॉर्मूला दिया है, उस पर काम किया जा रहा है. इस बार हमें 58 की जगह 68 फीसदी वोट मिलेगा. पार्टी वोट परसेंट में अभी तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ेगी.
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FIRST PUBLISHED : February 21, 2024, 17:52 IST