सच्चिदानंद/पटना. ठंड को देखते हुए स्कूलों में बच्चों को छुट्टी दिए जाने को लेकर शिक्षा विभाग और पटना डीएम के बीच लेटर वार चल रहा है. दोनों एक-दूसरे को अधिकार क्षेत्र बता रहे हैं. एक ओर शिक्षा विभाग का कहना है कि स्कूल बन्द करने के पहले डीएम को शिक्षा विभाग से अनुरोध करना चाहिए था, तो वहीं पटना डीएम कहते हैं कि नियम किसी से अनुमति लेने की इजाजत नहीं देता है. सरकार के दो अंगों के बीच की यह तकरार कानूनी रूप से किस स्थिति में खड़ा उतरता है, यह समझने के लिए हमने पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता रत्नेश कुशवाहा से कानूनी पक्ष जाना.
डीएम का आदेश कानून संगत
पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता रत्नेश कुशवाहा ने कड़ाके की ठंड को देखते हुए पटना डीएम द्वारा स्कूलों में आठवीं तक की पढ़ाई को बंद करने के निर्णय को कानून संगत माना है. उन्होंने बताया कि CRPC की धारा-144 राज्य के सभी डीएम को यह अधिकार देता है कि जिले में पब्लिक सेफ्टी के हित में अपने विवेक से कोई भी फैसला ले सकते हैं. जिलाधिकारी को तथ्यों के साथ स्वविवेक से निर्णय लेने का अधिकार है. पटना डीएम ने अपने क्षेत्राधिकार में दिए गए कानूनी ताकतों का इस्तेमाल करते हुए धारा -144 के तहत यह आदेश दिया है.
विभाग से अनुमति या अनुरोध करने को बाध्य नहीं डीएम
शिक्षा विभाग की ओर से डीएम को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि अगर स्कूल को बंद करना इतना ही जरूरी था तो इसके लिए शिक्षा विभाग से अनुरोध करना चाहिए. इसपर अधिवक्ता रत्नेश कुशवाहा बताते हैं कि जिलाधिकारी धारा-144 के तहत फैसला लेने से पूर्व किसी भी विभाग से अनुमति लेने के लिए बाध्य नहीं हैं. इस धारा के तहत फैसला लेने के लिए डीएम पूरी तरह से स्वतंत्र हैं.
धारा- 144 की सब क्लॉज 3 के तहत डीएम को किसी खास क्षेत्र में किसी खास कार्यरत व्यक्ति के ऊपर धारा-144 लगाने की शक्ति प्राप्त है. बढ़ती ठंड को देखते हुए कम उम्र के बच्चों को स्कूल आने से रोकने के लिए डीएम का लिया गया यह फैसला पूरी तरह से कानून संगत है और उनके क्षेत्राधिकार का मामला है.
KK Pathak News: एक चंद्रशेखर से छूटा पाला, तो दूसरे ने दिखा दी आंख, पावर गेम में ठिठुर रहे बच्चे
मॉल या अन्य संस्थानों पर धारा-144 क्यों नहीं
शिक्षा विभाग के पत्र में डीएम से पूछा गया है कि दुकानों, पार्क, मॉल में बच्चे जा रहे हैं, उसके लिए आपने धारा-144 लगाया क्या? इसपर अधिवक्ता रत्नेश कुशवाहा बताते हैं कि अगर शिक्षा विभाग के द्वारा विद्यालय खुला रखा जाता तो बच्चों को स्कूल जाने की बाध्यता है. इस स्थिति में बच्चों को स्कूल जाना ही पड़ता. रही बात मॉल और बाकि जगहों पर जाने की तो यह बच्चों का ऐच्छिक विषय है.
वो मॉल जा भी सकते हैं या नहीं भी जा सकते हैं. लेकिन स्कूल जाना उनके लिए अनिवार्य विषय है. इस वजह से पटना डीएम ने यह धारा स्कूलों में लगाया है. मानवता और कानून दोनों आधार पर पटना डीएम का यह फैसला न्याय संगत है.
2 आदेशों के बीच फंसे बिहार के शिक्षक, छात्रों को स्कूल बुलाया तो जा सकते हैं जेल, पटना के गुरु रहमान से समझिए
फैसले की समीक्षा कौन कर सकता है
शिक्षा विभाग ने डीएम पटना पर आरोप लगाते हुए कहा कि आपने जान बूझकर शिक्षा विभाग के आदेश का उल्लंघन किया है. आपने क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर धारा-144 के तहत त्रुटिपूर्ण आदेश निकाला है. इसपर हाईकोर्ट के अधिवक्ता रत्नेश कुशवाहा बताते हैं कि स्कूलों को बंद करने का यह निर्णय जिला दंडाधिकारी के द्वारा निर्गत है. इसीलिए उनके कोर्ट के आदेश को रिव्यू करने का अधिकार हाईकोर्ट और सरकार को है.
सरकार कैबिनेट के माध्यम से रिव्यू कर सकती है. उन्होंने आगे बताया कि अगर शिक्षा विभाग डीएम के इस आदेश को चुनौती देना चाहता है तो इसके लिए सरकार के जरिए ही कोर्ट जाया जा सकता है. शिक्षा विभाग को डीएम कोर्ट के आदेश को बदलने का कानूनी और प्रशासनिक अधिकार नहीं है.
किस पर होगी कार्रवाई
अभी की स्थिति में दो आदेश निकले हुए हैं. एक पटना डीएम की ओर से, जिसमें यह कहा गया है कि 25 जनवरी तक आठवीं तक की पढ़ाई बंद रहेगी. दूसरा शिक्षा विभाग का, जिसमें यह कहा गया है कि स्कूल खुली रहेगी. इसपर रत्नेश कुशवाहा बताते हैं कि डीएम कोर्ट के द्वारा जारी धारा-144 के आदेश का यदि कोई उल्लंघन करता है, तो धारा-188 के तहत कानूनी कार्रवाई और गिरफ्तारी हो सकती है.
इसकी तलवार शिक्षा विभाग या सचिव पर नहीं लटकेगी, बल्कि विद्यालय के प्राचार्य या विद्यालय प्रबंधक पर कार्रवाई की जा सकती है.
.
Tags: Bihar News, Education news, Local18, PATNA NEWS
FIRST PUBLISHED : January 24, 2024, 14:43 IST