पटना. बिहार में गंगा नदी सहित 22 नदियां इतनी मैली हो गई हैं कि उनके पानी में नहाना भी खतरे से खाली नहीं है. इस बात का खुलासा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सालाना रिपोर्ट में हुआ है. इस दौरान अलग-अलग जगह पर पानी की जांच करके विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है.
सनातन धर्म में गंगा समेत कई नदियों का विशेष महत्व है. इन्हें जीवनदायिनी भी कहा जाता है, लेकिन इनका पानी पीने तो क्या नहाने योग्य भी नहीं है. बिहार की 22 नदियां जीवनदायिनी की बजाय बीमारियों का मुख्य स्त्रोत बन रही हैं. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साल 2023-2024 की वार्षिक रिपोर्ट में ये खुलासा किया है.
नहाने लायक नहीं नदियों का पानी
रिपोर्ट के अनुसार गंगा समेत सभी सहायक नदियों के पानी में सीवरेज और मलमूत्र में पाए जाने वाले खतरनाक जीवाणु मिले हैं. इन सभी नदियों का पानी नहाने के लायक भी नहीं रह गया है. बिहार के 27 जिलों से गुजरने वाली इन नदियों के पानी को 98 स्थानों से गुणवत्ता जांच की गई 23 मानकों पर नदियों के पानी खरा उतरा, लेकिन तब स्थिति चिंताजनक हो गई जब खतरनाक जीवाणु में फिकल कॉलिफॉर्म और टोटल कॉलिंग फॉर्म का मानक ध्वस्त हो गया.

चौंकाने वाली रिपोर्ट
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर ये बताया है कि नदियों का पानी दूषित होने का मुख्य कारण शहर के किनारे बसे लोगों के घर से घरेलू गंदगी मल मूत्र बिना उपचार के नदियों में डाले जाते हैं. नमामि गंगे परियोजना के तहत पटना में कुल 6 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट है और उसके नेटवर्क पर काम चल रहा है. इस कारण पटना शहर का सीवेज का अधिकांश हिस्सा बिना ट्रीटमेंट के ही गंगा में पहुंच रहा है. यही कारण है कि गंदा पानी मानकों पर सही नहीं उतर रही. गंगा जल में मानक के अनुसार जीवन की संख्या 500 है, तो पानी में स्नान कर सकते हैं. वहीं जीवाणुओं की संख्या 5 हजार से अधिक है तो उस पानी को फिल्टर तक नहीं किया जा सकता.
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FIRST PUBLISHED : February 24, 2024, 15:23 IST