गुलशन कश्यप/जमुई:- हावड़ा-नई दिल्ली मुख्य रेल लाइन के झाझा रेलवे स्टेशन के समीप शुक्रवार को अचानक चीख- पुकार मच गई और लोग इधर से उधर भागने लगे. एनडीआरएफ की टीम पहुंची और घायलों का बचाव शुरू कर दिया. इसे पढ़कर आप यह मत समझ लीजिएगा कि इस रेलवे ट्रैक पर किसी प्रकार की कोई रेल दुर्घटना हुई है. हालांकि लोगों को भी यही लगा कि यहां कोई ट्रेन एक्सीडेंट हो गया है और लोग बचाव कार्य में लग गए. जब तक लोगों को असल बात का पता चलता, तब तक लोगों के बीच अफरा-तफरी का माहौल बन गया. लोग यह समझने की कोशिश करने लगे कि आखिर ये सब क्या चल रहा है.
झाझा रेलवे स्टेशन के पास चला रेलवे और एनडीआरएफ का मॉक ड्रिल
किउल-जसीडीह रेलखंड के झाझा रेलवे स्टेशन के समीप शुक्रवार को झारखंड के देवघर और पटना के बिहटा से एनडीआरएफ की टीम पहुंची थी. इस दौरान बड़ी संख्या में रेलवे के अधिकारी भी मौजूद थे. ट्रेन की दो बोगी एक-दूसरे पर चढ़ी हुई थी और बचाव का कार्य चल रहा था. लेकिन जिसने भी यह देखा उसे लगा कि यहां कोई बड़ा ट्रेन हादसा हो गया है. इसके बाद वहां आस-पास के लोगों की भी भीड़ लग गई और लोग बड़े ध्यान से यह सब देखने लगे. करीब 1 घंटे से भी अधिक समय तक लगातार यह सब कुछ चलता रहा. घायलों को ट्रेन से निकाला जाने लग और उन्हें पास ही बने एक मेडिकल कैंप में इलाज के लिए भर्ती कराया जाने लगा. लोगों को त्वरित उपचार दिया जाने लगा, लेकिन यह सब कुछ किसी रेल हादसे का हिस्सा नहीं था.
काफी देर बाद लोगों को पता चला असली कारण
शुक्रवार को झाझा रेलवे स्टेशन के समीप जिसने भी एनडीआरएफ की टीम को एक्शन में देखा, हर किसी को यही लगा कि यहां किसी प्रकार का बड़ा रेल हादसा हुआ है. जबकि ऐसा नहीं था और यह मॉक ड्रिल का हिस्सा था. शुक्रवार को किउल-जसीडीह रेलखंड के झाझा रेलवे स्टेशन के समीप एनडीआरएफ के द्वारा मॉक ड्रिल किया गया. जिसमें अचानक हुए रेल हादसे के दौरान कैसे लोगों की जान बचाई जाए और उन्हें किस प्रकार से मदद पहुंचाई जाए, इसका ड्रिल किया जा रहा था. एनडीआरएफ के अधिकारियों ने बताया कि भविष्य में अगर किसी प्रकार की दुर्घटना होती है, तो तुरंत कैसे कंट्रोल किया जा सके, इसकी जानकारी देने के लिए एनडीआरएफ के द्वारा यह ड्रिल किया गया है.
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एनडीआरएफ और रेलवे ने मिलकर किया मॉक ड्रिल
इस मॉक ड्रिल को लेकर रेलवे और एनडीआरएफ के द्वारा पूरी तैयारी की गई थी. दुर्घटना की स्थिति बनाने के लिए एक ट्रेन के डब्बे को दुर्घटनाग्रस्त कराकर दूसरी ट्रेन के डब्बे पर चढ़ा दिया गया था. पास ही में एक मेडिकल कैंप बनाया गया था. रेलवे कंट्रोल रूम में वरीय पदाधिकारी को तैनात किया गया था. जिस प्रकार दुर्घटना के बाद स्थिति तैयार की जाती है, ठीक उसी प्रकार लोग काम कर रहे थे. करीब घंटे भर से अधिक चले इस मॉक ड्रिल में लोगों को तुरंत बचाव की सभी जानकारियां दी गई.
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FIRST PUBLISHED : February 16, 2024, 18:09 IST