मो.महमूद आलम/नालंदा: नालंदा मुख्यालय बिहार शरीफ शहर के प्रोफेसर कालोनी में जंगलिया बाबा का अतिप्राचीन मंदिर है. घनी आबादी के बीच स्थापित इस मंदिर की सौम्यता देखते ही बनती है. इस मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली है. ऐसी मान्यता है कि जंगलिया बाबा के दर से आजतक कोई खाली हाथ नहीं लौटा है. सावन के हर सोमवार को भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. यह मंदिर 300 वर्ष पुराना माना जाता है. यहां पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. आईए जानते हैं इस मंदिर की स्थापना की कहानी.
जानकारी के मुताबिक अभी जिस घनी बस्ती के बीच मंदिर विद्यमान है, वहां पहले घना जंगल था. बेली फूल के बड़े-बड़े पेड़ थे. यही कारण है कि उस वक्त इस इलाके को बेली बाड़ा के नाम से जाना जाता था. /यहां खोदाई के दौरान काले पत्थर का शिवलिंग मिला था. चूंकि, इस इलाके में घनघोर जंगल था, इसलिए ये मंदिर जंगलिया बाबा के नाम से ये प्रसिद्ध हो गया. खास बात यह है ये मंदिर उत्तर दिशा में है. आम तौर पर शिव मंदिरों का दरवाजा पूरब दिशा की ओर होता है, लेकिन जंगलिया बाबा मंदिर का दरवाजा उत्तर दिशा की ओर है.
मंदिर में है नाग-नागिन का जोड़ा
पुजारी दीपक कुमार कहते हैं कि बाबा कैलाशवासी हैं. कैलाश पर्वत भारत के उत्तर दिशा में है, इसी कारण बाबा का दरवाजा भी उत्तर दिशा में है. मंदिर 300 वर्ष पुराना है. इस मंदिर में नाग-नागिन का जोड़ा रहता है. कभी-कभी भक्तजन उनका दर्शन भी करते हैं. जब कभी शाम के वक्त मंदिर में कोई श्रद्धालु नहीं होते हैं तो नाग-नागिन का जोड़ा शिवलिग में लिपटे हुए भी नजर आ जाते हैं.सावन के प्रत्येक सोमवार को जंगलिया बाबा का विशेष श्रृंगार होता है. दूध, मधु व गंगाजल से स्नान कराने के बाद रंग-बिरंगे फूलों से श्रृंगार कराया जाता है. पुजारी दीपक कुमार ने बताया कि शाम की आरती भी काफी भव्य होती है. ऐसा आभास होता है, मानो साक्षात भगवान शिव खड़े हों.
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FIRST PUBLISHED : September 05, 2023, 16:51 IST