बिहार में बंजर जमीन उगल रही सोना… बंपर कमाई देख जिला प्रशासन ने बढ़ाया रकबा

कुंदन कुमार/गया : बिहार के गया में कृषि विभाग के द्वारा बंजर जमीन पर लगभग 100 एकड़ में लेमनग्रास की खेती कराई जा रही है. यह ऐसी जमीन थी, जहां किसी भी तरह की कोई फसल नहीं उगाई जाती थी. लेकिन कृषि विभाग की पहल पर आज गया के बांके बाजार, गुरूआ और बाराचट्टी प्रखंड क्षेत्र की बंजर जमीन पर इसकी खेती हो रही है. इससे किसानों को अच्छी आय हो रही है. विभाग के द्वारा लेमनग्रास प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई गई है. जहां इस घास से तेल तैयार किया जाता है. इस तेल की कीमत बाजारों में 1500 रुपये प्रति लीटर है. इसका इस्तेमाल साबुन, फेस वॉश, शैंपू, हैंड वॉश, सैनिटाइजर आदि बनाने के लिए किया जाता है.

300 एकड़ बंजर जमीन पर होगी इसकी खेती
इस वर्ष लेमनग्रास की खेती का रकबा बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. जिले की लगभग 300 एकड़ बंजर जमीन पर इसकी खेती कराई जाएगी. लेमनग्रास की खेती को लेकर उद्यान निदेशालय में ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं. कई प्रखंड क्षेत्र के किसानों के द्वारा ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हो रहे हैं.

जिले के फतेहपुर, मोहनपुर, बांके बाजार, गुरुआ, टनकुप्पा और खिजरसराय प्रखंड क्षेत्र में इस बार लेमनग्रास की खेती किया जाएगा. किसानों के द्वारा क्लस्टर में इसकी खेती की जाती है. 10 से अधिक किसानों का समूह बनाकर एक जगह पर बडे स्तर पर लेमनग्रास लगाई जाती है.

2700 हेक्टेयर कृषि योग्य बंजर भूमि लहलहाएगी
लेमनग्रास को लगाने के लिए खास तौर पर गया के पथरीली और बंजर इलाके को चुना जाता है, क्योंकि यह ऐसी खेती है. जिसमें बेहद कम पानी की जरूरत होती है. हालांकि उद्यान विभाग के द्वारा लेमनग्रास की खेती में स्प्रिंकलर लगाने के लिए भी लाभ दिया जाता है. गौरतलब हो कि गया जिले में लगभग 2700 हेक्टेयर कृषि योग बंजर भूमि है, लेकिन 4 साल पूर्व तक यहां ऐसा जमीन पर किसी भी तरह की कोई खेती नहीं होती थी. लेमनग्रास के अलावा इस बार उद्यान विभाग के द्वारा पामरोजा, मेंथा और सुगंधित फसल की खेती कराई जाएगी.

यह है तैयारी
इस संबंध में जानकारी देते हुए गया जिला सहायक निदेशक उद्यान तबस्सुम परवीन बताती है कि फसल विविधीकरण योजना के तहत 120 एकड़ जमीन पर इस बार सुगंधित फसल की खेती कराई जानी है. जिसमें लेमनग्रास के अलावा तुलसी, शतावर और पामरोजा की खेती कराई जाएगी. इन्होंने बताया कि किसान इसके लिए ऑनलाइन आवेदन कर रहे हैं और क्लस्टर में सुगंधित फसल की खेती कराई जाएगी.

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