अंकित कुमार सिंह/सीवान : बिहार के सीवान में पहली बार दुर्लभ प्रजाति का पक्षी मिला है. ये एक या दो नहीं बल्कि चार की संख्या में मिले हैं. दुर्लभ सफेद उल्लू मिलने की जानकारी लोगों को जैसे मिली देखने वालों की भीड़ जुट गई. लोग कौतूहल भरी नजरों से सफेद उल्लू को देखते हुए नजर आए. जानकारी के अनुसार यह बर्फीले स्थानों पर रहने वाला सफेद उल्लू है, जो यूरोप की ऊंची चोटी और हिमालय जैसे पहाड़ी इलाकों में रहता है. सफेद उल्लू विरले हीं नजर आता है.
एक ही घर से मिले हैं दुर्लभ पक्षी के चार चूजे
सीवान जिला के गूठनी थाना के विसवार गांव निवासी मनन सिंह के यहां एक दुर्लभ पक्षी के चार चूजे मिले हैं. उसको देखने के लिए लोग आ रहे हैं. इस सफेद उल्लू का का बाल मुलायम है, लेकिन पंख कांटेदार है.
गांव के बुजुर्ग भी इसे दुर्लभ पक्षी हीं मान रहे हैं. जानकार बताते हैं कि सर्दियों के समय में किसी ठंडे प्रदेश से आए बार्न आउल यानी उल्लू का जोड़ा आया होगा और प्रजनन के समय यहीं अंडा देकर चला गया होगा.
बंद कमरे से आ रही थी आवाज, घर वाले समझ रहे थे सांप
ममन सिंह बताते हैं कि बंद पड़े कमरे से आवाज आ रही थी.आवाज से प्रतीत पड़ रहा था कि कोई बड़ा सांप होगा. इसको लेकर रेस्क्यू टीम को बुलाया गया. जब रेस्क्यू टीम ने बंद पड़े कमरे के दरवाजे को खोलकर देखा तो सब की आंखें फटी की फटी रह गई. वहां सांप नहीं बल्कि उल्लू की तरह दिखने वाले चार दुर्लभ पक्षी के चूजे थे. जिसकी सूचना वन विभाग को दी गई. हालांकि वन विभाग की टीम अब तक नहीं पहुंची है.
दुर्लभ प्रजाति के श्रेणी में आता है बर्न आउल
रेस्क्यू टीम के एक्सपर्ट शत्रुघ्न कुमार ने जानकरी देते हुए बताया कि इस दुर्लभ प्रजाति के उल्लू को बर्न आउल कहते हैं. इस तरह का उल्लू भारत में बहुत ही काम पाया जाता है. उन्होंने बताया कि सफेद उल्लू पूरी तरह से मांसाहरी होता है और इस तरह के प्रजाति वन क्षेत्र होने के कारण कभी-कभार दिख जाते हैं. इस प्रजाति का उल्लू विलुप्त होने के कगार पर है. सफेद उल्लू माता लक्ष्मी के वाहन होते हैं. इनका दिखना काफी शुभ माना जाता है.
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FIRST PUBLISHED : December 30, 2023, 19:30 IST