कुंदन कुमार/गया. बिहार राज्य में गेहूं की पारंपरिक प्रजाति सोना-मोती को बढ़ावा दिया जाएगा. स्वास्थ्यवर्द्धक गेहूं की इस किस्म के बीज को संरक्षित किए जाएंगे. कृषि विभाग ने इसके लिए बीज उत्पादन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है. इसके तहत गया और बेगूसराय के एक-एक कृषि प्रक्षेत्र में खेती कराई जाएगी. गया के खिरियावां और बेगूसराय के कुंभी राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्र में बीज उत्पादन कार्यक्रम चलाया जाएगा. अन्य जगहों पर इसकी खेती के लिए बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी.
इस गेहूं में ग्लूटेन की मात्रा होती है बेहद कम
गया के खिरियावां में 6 हेक्टेयर रकबा में इसकी खेती इस वर्ष से शुरू कराई जाएगी. बिहार राज्य बीज निगम लिमिटेड को बीज उपलब्ध कराने को कहा गया है. सोना-मोती गेहूं की एक प्राचीन किस्म है. इसमें ग्लूटेन की मात्रा बेहद ही कम होती है. साथ ही गेहूं की इस किस्म में ग्लाइसेमिक सामग्री और फोलिक एसिड अधिक होती है. कुल मिलाकर गेहूं की यह प्राचीन किस्म अपने उच्च पोषण संबंधी गुणों के लिए जानी जाती है. स्वास्थ्य वर्द्धक होने के चलते सोना-मोती की मांग ज्यादा है. जबकि बिहार में इसकी उपलब्धता कम है. इसके दाम गेहूं की अन्य किस्म की तुलना में ज्यादा होते हैं.
8 हजार रुपया प्रति क्विंटल है बिकता
बिहार तथा दूसरे राज्य में पिछले साल सोना-मोती गेहूं 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिका है. महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में यह किस्म लोकप्रिय है. किसानों ने धान, गेहूं, दलहन की कई परंपरागत किस्मों की खेती छोड़ दी है. परंपरागत किस्मों पर रोग और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम देखा गया है. इसलिए कृषि विभाग सभी फसलों की परंपरागत किस्मों को बचाने का प्रयास कर रहा है. इसी के तहत गेहूं की परंपरागत किस्म सोना-मोती के संरक्षण का निर्णय लिया गया है. साथ ही अन्य फसलों की पारंपरिक किस्मों को भी संरक्षित करने का काम शुरू कर दिया गया है.
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2 हजार वर्ष पुराना है वैरायटी
गौरतलब हो कि गया के एक-दो किसान सोना-मोती गेंहू की खेती पिछले 2-3 साल से कर रहें हैं. वह बीज संरक्षण का काम करते हैं. किसानों को बीज उपलब्ध कराते है. लेकिन कृषि विभाग अब अपने स्तर से इसकी खेती कराकर किसानो को बीज उपलब्ध कराएगी. उम्मीद है अगले वर्ष से राज्य भर के किसान राज्य में ही उगाए गये बीज से सोना-मोती गेंहू की खेती बडे स्तर पर कर सकेंगे.
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इस संबंध में गया जिला कृषि पदाधिकारी अजय कुमार सिंह बताते हैं कि सोना-मोती गेंहू 2 हजार वर्ष पुराना वैरायटी है, जो बाहर से अपने देश में लाया गया था, लेकिन इसके फायदे को देखते हुए राज्य सरकार इसे राज्य में बढाने की कोशिश कर रही है. यही वजह के बिहार के गया और बेगूसराय जिले में इस वर्ष इसकी खेती कराकर बीज संरक्षित किया जाएगा, ताकि अगले साल से किसान इसकी खेती बडे स्तर पर कर सकें.
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FIRST PUBLISHED : December 19, 2023, 11:54 IST