बिहार में जमीन बिक्री के नए नियम से फंसा झोल, ये जमीन भी नहीं बेच पा रहे मालिक

अंकित कुमार सिंह/सीवान. बिहार सरकार ने भूमि निबंधन नियमावली में महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए 22 फरवरी से पूरे बिहार में नया नियम लागू कर दिया है. हालांकि इससे राहत मिलने के बजाए दिन-प्रतिदिन परेशानी बढ़ती जा रही है. पहले जहां रैयत नए नियम समझने में परेशान थे. वहीं, अब उनकी परेशानी डीह बासगीत जमीन ने बढ़ा दी है. अब कोई भी रैयत, खास्तकारी, बैनामा, बख्सिसनामा, रिटर्न और पट्टा से प्राप्त जमीन के साथ-साथ डीह बासगीत जमीन भी बिना जमाबंदी के नहीं बेच सकते हैं.

डीह बासगीत की जमीन ने उलझाया
सभी प्रकार की जमीन की जमाबंदी रैयतदारों के नाम से कायम कर रजिस्टर-टू (पंजी-2) में संकलित किया रहता है. हालांकि, डीह बासगीत जमीन की जमाबंदी नहीं खुलती है. लेकिन डीह बासगीत जमीन खतियान में रैयत के नाम से दर्ज रहती है. रैयत इस जमीन को बैनामा, बख्सिसनामा, ट्रांसफर, रिटर्न सहित अन्य माध्यमों से बेचते भी हैं. हालांकि, इसकी जमाबंदी कायम नहीं होती है. ऐसे में अब रैयत इस बात से परेशान हैं कि जब डीह बासगीत जमीन की जमाबंदी ही नहीं खुलती है, तो उसे बेच क्यों नहीं सकते हैं.

डीह बासगीत जमीन की रजिस्ट्री पर भी रोक
सीवान रजिस्ट्री कचहरी में भी नए नियम के तहत जमीन रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. जिसके नाम से जमीन की जमाबंदी कायम है, वह अपनी जमीन की बिक्री कर रहे हैं, लेकिन यहां डीह बासगीत जमीन की रजिस्ट्री करने पर रोक है. ऐसे में अब विक्रेता इस बात से परेशान हैं कि जब उस जमीन की जमाबंदी ही नहीं होती है, तो उसे क्यों नहीं बेच सकते हैं.

डीह बासगीत जमीन की रजिस्ट्री नहीं होने से क्रेता और विक्रेता मजबूरन निराश होकर लौट रहे हैं. इस बाबत कातिब अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि अब डीह बासगीत जमीन का भी जमाबंदी खुलेगा. उसके बाद इसकी भी बिक्री हो सकेगी.

लगान से मुक्त रहती है डीह बासगीत जमीन
सीवान रजिस्ट्री कचहरी के कातिब अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि सभी गांवों में डीह (निवास स्थान) बासगीत जमीन होती है. इस पर उस गांव की आबादी निवास करती है. यह राजस्व लगान से मुक्त जमीन होती है. यही वजह है कि इसका जमाबंदी नहीं खुलता है.

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डीह बासगीत जमीन का सर्वे नम्बर (प्लाट नम्बर/खेसरा नम्बर) कितना भी हो सकता है. हालांकि पूरे गांव की डीह बासगीत जमीन का खाता नम्बर एक ही होता है. वहीं, सभी गांवों में अलग-अलग खाता होता है. उसका एक अलग चादर (नक्शा) भी रहता है.

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