बिहार भी तिलहन फसलों में बढ़ेगा आगे, ऐसे मिलेगा किसानों को फायदा

सत्यम कुमार/भागलपुर:- भागलपुर अब चावल, चुड़ा और सब्जी के बाद तिलहन में अलग पहचान बनाएगा. इसको लेकर बीएयू और राष्ट्रीय तिलहनी अनुसंधान संस्थान हैदराबाद के बीच समझौता हुआ है. कृषि रोडमैप के तहत बिहार में तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए दोनों संस्थानों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किया गया है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति डॉ. डी.आर.सिंह ने बताया कि इस समझौते के अंतर्गत बिहार में तिलहनी फसलों के शोध, शिक्षण और प्रशिक्षण में राष्ट्रीय तिलहनी अनुसंधान संस्थान सहयोग करेगा. इससे तिलहनी फसल शोध होगा और किसानों को काफी फायदा होगा.

बिहार में तिलहनी फसल की बढ़ेगी पैदावार
बीएयू के कुलपति डॉ. डी.आर.सिंह की उपस्थिति में हुए इस समझौते पर विश्वविद्यालय के तरफ से निदेशक अनुसंधान डॉ. ए. के. सिंह और राष्ट्रीय तिलहनी अनुसंधान संस्थान की ओर से संस्था के निदेशक डॉ. आर. के. माथुर ने हस्ताक्षर किया. इससे बिहार में तिलहनी फसलों की पैदावार बढ़ेगी. इसे लेकर जब कुलपति से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि अब हमारे बच्चे हैदराबाद जाकर तिलहनी फसल के बारे में शोध कर पाएंगे. इससे अब बिहार कृषि विश्वविद्यालय भी तिलहनी फसल का बीज तैयार कर पाएगा. बिहार में तिलहनी फसल बहुत कम जगहों में उगाए जाते हैं. इसके पीछे की वजह है कि यह रिस्क की खेती बताई जाती है.

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होगा यह सब फायदा
बीएयू के कुलपति डॉ.डी.आर.सिंह ने बताया कि जब यहां पर इसका शोध होने लगेगा, तो इससे बिहार के कृषि में एक नया बदलाव आएगा. तिलहनी फसल में यहां सबसे अधिक सरसों की खेती की जा सकती है. इसके साथ ही तीसी की पैदावार भी अच्छी हो सकती है. तिलहनी फसल में किसानों को अधिक मुनाफा होता है, लेकिन किसान रिस्क की वजह से इस खेती को नहीं करना चाहते हैं. मौसम अनुकूल नहीं रहने पर यह खेती पूरी तरीके से बर्बाद हो जाती है. लेकिन शोध के बाद उस तरीके का बीज निकल जाएगा, जिससे मौसम का अधिक प्रभाव इस फसल पर ना पड़े. इसके बाद किसान तिलहनी फसल का पैदावार कर अच्छा मुनाफा कमा पाएंगे. वहीं उन्होंने बताया कि तिलहनी फसल काफी कम समय लेता है. इसके बाद हम शॉर्ट टर्म में एक और फसल को बो सकते हैं.

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