बिहार बन रहा उड़ता पंजाब, मानसिक रोगियों के चौंकाने वाले आंकड़े आ रहे सामने

नीरज कुमार/बेगूसराय: बेगूसराय के स्वास्थ विभाग की रिपोर्ट से पता चलता है कि बिहार में नशे की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे समाज को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले 3 साल  से इस समस्या में वृद्धि हो रही है, लेकिन शासन की ओर से इस पर ध्यान केंद्रित नहीं हो रहा है. यह समस्या समाज के सभी वर्गों को प्रभावित कर रही है और इससे अधिकांश मामलों में परिवारों को भी नकारात्मक प्रभाव महसूस हो रहा है.

मुकेश हराने के तंबाकू से संबंधित विज्ञापन ने इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाई है, और इसे एक जीवनशैली चयन के रूप में प्रमोट किया है. इसके साथ ही, खबरें जो कच्ची शराब के हानिकारक प्रभावों को उजागर करती हैं, सामाजिक जागरूकता फैलाने में मदद कर सकती हैं. नशे की लत के खिलाफ लड़ाई में सामाजिक संगठनों और सरकार को मिलकर काम करना आवश्यक है ताकि इस समस्या का समाधान संभव हो सके. यूएनओडीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2019 में विश्व के 7% अफीम और 2% हेरोइन को ज़ब्त किया है, जो सकारात्मक दिशा में एक कदम है, लेकिन इसे और बढ़ाने के लिए और भी कदम उठाने की आवश्यकता है.

पहले की तुलना में मानसिक रोगियों की बढ़ी संख्या
एम्स नई दिल्ली और बेगूसराय में मानसिक बीमारियों का इलाज कर रहे डॉ. एसएन राय ने बताया है कि पिछले दो-तीन साल में ब्राउन शुगर, स्मैक, हिरोइन, आदि का नशा करने वाले मानसिक मरीजों की संख्या में 100 गुना इजाफा हुआ है. पहले महीने में एक से दो मरीज आते थे, लेकिन अब सप्ताह में 4 से 5 मामले सामने आ रहे हैं. इसमें युवा और किशोर की संख्या के साथ महिलाओं की संख्या भी 40 फीसदी के आस-पास है. इसमें किशोरों की संख्या अधिक है. उन्होंने बताया कि बिहार के सभी जिलों से नशे का सेवन करने वाले मरीज मानसिक रुप से बीमार होकर आ रहे हैं. जल्द शासन के द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो बिहार को उड़ता पंजाब बनने से कोई रोक नहीं सकता है. आईएमएस के अनुसार कुछ साल पहले तक मानसिक रोगी बहुत कम आते थे, लेकिन अब रोज जिले के ओपीडी में 80 से 90 मरीज आ रहे हैं. उनमें से अधिकतर ऐसे मरीज हैं जो ब्राउन शुगर का सेवन करते थे. इसके अलावा नशीले पदार्थों के सेवन से बीमार मरीज भी आ रहे हैं.

बिहार का नंबर वन अस्पताल में नहीं हैं मानसिक चिकित्सक
अब अगर बात बिहार के बेगूसराय की हो तो यहां के सदर अस्पताल को राज्य का नंबर वन सदर अस्पताल होने का दर्जा प्राप्त है. लेकिन यहां मानसिक रोगों का इलाज होता है ही नहीं है. ऐसे में अमीर तबके के मरीज तो निजी अस्पताल में इलाज करवा लेते हैं. लेकिन, गरीब तबके के मरीजों की इलाज के अभाव में मौत हो जाती है. वहीं मानसिक रोग का इलाज भी मंहगा होता है. सिविल सर्जन का कहना है जल्द प्रयास कर मानसिक रोगों का इलाज शुरू करवाया जाएगा. प्रशासनिक स्तर पर जल्द पहल नहीं हुआ तो बेगूसराय को दिल्ली और राज्य को उड़ता पंजाब बनने से रोकना मुश्किल हो जाएगा.

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