बिहार ने क्‍यों कराई जातिगत जनगणना, क्‍या होंगे इसके फायदे-नुकसान? कैसे पूरी हुई प्रक्रिया

हाइलाइट्स

बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना का काम दो जटिल चरणों में पूरा किया गया है.
कामकाज के लिए बाहर गए लोगों को फोन से संपर्क कर प्रक्रिया में शामिल किया गया.
बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े एक किताब की शक्‍ल में जारी किए हैं.

Caste Census in Bihar: बिहार सरकार ने एक किताब के जरिये राज्‍य की जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए हैं. इससे पहले राजस्‍थान और कर्नाटक भी जाति के आधार पर जनगणना करा चुके हैं. बता दें कि साल 2011 में हुई जनगणना के बाद जातीय आधार पर ही रिपोर्ट तैयार की गई थी, लेकिन इसे जारी नहीं किया गया. बिहार सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि राज्‍य में पिछड़े वर्ग की कुल आबादी में हिस्‍सेदारी 63 फीसदी है. इसमें पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग शामिल हैं. वहीं, सामान्‍य वर्ग की आबादी 15.52 फीसदी है. बता दें कि बिहार की कुल आबादी 13.07 करोड़ से ज्‍यादा है.

‘बिहार जाति आधारित गणना’ पुस्तक के जरिये जारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्‍य में हिंदुओं की आबादी 82 फीसदी, मुस्लिम 17.7 फीसदी, ईसाई 0.05 फीसदी और 0.08 फीसदी बौद्ध हैं. राज्‍य की कुल आबादी में राजपूत 3.45 फीसदी, ब्राह्मण 3.65, भूमिहार 2.86, यादव 14 और नौनिया 1.9 फीसदी हैं. बिहार में पिछड़ा वर्ग 27.13 फीसदी, अति पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी 15.52 फीसदी है. इसके अलावा राज्‍य में कुर्मी आबादी 2.87 फीसदी, कुशवाहा 4.27 फीसदी, धानुक 2.13 फीसदी, भूमिहार 2.89 फीसदी, सुनार 0.68 फीसदी, कुम्हार 1.04 फीसदी, मुसहर 3.08 फीसदी, बढ़ई 1.45 फीसदी, कायस्थ 0.60 फीसदी और नाई 1.59 फीसदी, हैं. वहीं, ट्रांसजेंडर की संख्या 825 है. जानते हैं कि आखिर बिहार ने जातिगत जनगणना क्‍यों कराई और इसके फायदे-नुकसान क्‍या हैं?

ये भी पढ़ें – BCCI प्रेसिडेंट को वर्ल्‍ड कप 1983 में चुभी एक बात, तो इंग्‍लैंड से छीन ली 87 की मेजबानी, क्‍या था पूरा किस्‍सा

बिहार में कैसे की गई जातिगत जनगणना?
बिहार में जातिगत जनगणना के लिए विभागीय कर्मचारी डोर टू डोर पहुंचे. इसमें राज्‍य के शिक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने भी मदद की. जनगणना के तहत पहले चरण में मकानों पर नंबर डाले गए. वहीं, दूसरे चरण में लोगों से उनकी जाति पूछकर गणना की गई. बता दें कि लंबे समय से बिहार समेत देश के कई राज्यों में जातिगत जनगणना की मांग उठ रही थी. साल 2011 में हुई जनगणना के बाद जातीय आधार पर रिपोर्ट बनाई गई थी, लेकिन उसे जारी नहीं किया गया था. बिहार में 7 जनवरी 2023 से जातिगत जनगणना की प्रक्रिया शुरू हुई थी. जातिगत जनगणना की बात सुनकर सबसे पहले दिमाग में आता है कि ऐसा क्‍यों किया गया है? फिर जातीय जनगणना कैसे होगी? अगर पूरी हो जाएगी तो ये कैसे पता लगेगा कि बिहार में किस जाति के लोगों की कितनी आबादी है? हम दे रहे हैं आपके मन में उठ रहे ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब.

Bihar caste census, caste census, Nitish Kumar, Bihar Government, General Category in Bihar, OBC in Bihar, EBC in Bihar, Muslims n Bihar, SC in Bihar, ST in Bihar, backward class in bihar, caste census benefits, Caste Census disadvantages, Caste system in India, Castes in Hindus, Castes in Muslims, RJD, BJP, PM Narendra Modi, JDU, Lalu Prasad Yadav, caste census in Bihar, caste census, Nitish Kumar, Central Govt stand on caste census, BJP, RJD, RLD, Congress, Caste and population, Census, Uttar Pradesh, Akhilesh Yadav, Yogi Aditya Nath, Supreme Court, Caste Politics, Hindu Sena, SC/ST, OBC, General Caste, Dalit, Rajasthan, Karnataka, बिहार में जातीगत जनगणना, नीतीश कुमार

बिहार में हुई जातिगत जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, राज्‍य में सवर्ण आबादी साढ़े 15 फीसदी है.

बिहार में क्‍यों कराई गई जातीय जनगणना?
बिहार में ज्‍यादातर राजनीतिक दल जातीय जनगणना की लंबे समय से मांग कर रहे थे. उनका कहना था कि जातीय जनगणना होने से राज्‍य में रहने वाले दलित और पिछड़ा वर्ग के लोगों की सही संख्या पता चल जाएगी. इससे उन्‍हें आगे बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएं बनाने में आसानी होगी. अगर सही जातीय जनसंख्या का पता होगा तो राज्य में उनके मुताबिक प्रभावी योजनाएं बनाई जाएंगी. बिहार विधानसभा में 18 फरवरी 2019 और विधान परिषद में 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना कराने से जुड़ा प्रस्ताव पेश किया गया. इस प्रस्‍ताव को बीजेपी, राजद, जदयू समेत सभी दलों ने समर्थन दिया था.

ये भी पढ़ें – घोड़े की काठी बनाती थी Kookaburra, फिर कैसे बनाने लगी क्रिकेट बॉल्‍स, एसजी-ड्यूक से कैसे है अलग?

जातीय जनगणना के खिलाफ क्‍यों था केंद्र
केंद्र सरकार बिहार में जातिगत जनगणना कराने के खिलाफ था. केंद्र ने इसको लेकर देश के सर्वोच्‍च न्‍यायालय में हलफनामा दायर किया था. केंद्र ने हलफनामे में कहा था कि जातिगत जनगणना नहीं होनी चाहिए. साथ ही दलील दी थी कि जातियों की गिनती करना लंबा और कठिन काम साबित होगा. इसके बाद भी बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने जातीय जनगणना कराने का ऐलान कर दिया था. बिहार सरकार ने मई 2023 खत्‍म होने तक यह काम पूरा करने का वादा भी किया था. अब 2 अक्‍टूबर को महात्‍मा गांधी की जयंती पर बिहार सरकार ने एक किताब की शक्‍ल में जातिगत जनगणना के आंकड़े भी जारी कर दिए हैं.

ये भी पढ़ें – 22 गज की ही क्यों होती है क्रिकेट पिच, 20 या 24 गज की क्यों नहीं? कितनी होती है चौड़ाई

क्‍या हो सकता है इसका राजनीतिक असर?
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने से बिहार के सीएम नीतीश कुमार को सबसे बड़ा फायदा हो सकता है. दरअसल, उनकी पार्टी जेडीयू बिहार में जाति की राजनीति करने के लिए ही पहचानी जाती है. वहीं, जातिगत जनगणना के ये आंकड़े मंडल और कमंडल की राजनीति के नए दौर को हवा देने के लिए काफी हैं. बिहार सरकार ये भी कहती रही है कि गैर-एससी और गैर-एसटी से जुड़े आंकड़ों के पहीं होने के कारण अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या का सही अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. साल 1931 में हुई जनगणना के मुताबिक, बिहार में ओबीसी आबादी 52 फीसदी थी. वहीं, जातिगत जनगणना की मांग करने वालों का कहना था कि एससी और एसटी को उनकी आबादी के आधार पर आरक्षण दिया गया था. वहीं, ओबीसी की सही संख्‍या पता नहीं होने के कारण उन्‍हें पूरा फायदा नहीं मिल पाया है. लिहाजा, कोटा को संशोधित करने के लिए जाति आधारित जनगणना जरूरी है.

Bihar caste census, caste census, Nitish Kumar, Bihar Government, General Category in Bihar, OBC in Bihar, EBC in Bihar, Muslims n Bihar, SC in Bihar, ST in Bihar, backward class in bihar, caste census benefits, Caste Census disadvantages, Caste system in India, Castes in Hindus, Castes in Muslims, RJD, BJP, PM Narendra Modi, JDU, Lalu Prasad Yadav, caste census in Bihar, caste census, Nitish Kumar, Central Govt stand on caste census, BJP, RJD, RLD, Congress, Caste and population, Census, Uttar Pradesh, Akhilesh Yadav, Yogi Aditya Nath, Supreme Court, Caste Politics, Hindu Sena, SC/ST, OBC, General Caste, Dalit, Rajasthan, Karnataka, बिहार में जातीगत जनगणना, नीतीश कुमार

बिहार में जातिगत जनगणना काम दो जटिल चरणों में पूरा किया गया.

बिहार में कैसे की गई जातिगत जनगणना?
बिहार में जातिगत जनगणना के तहत पहले चरण में घरों की गिनती की गई. इसकी शुरुआत पटना के वीआईपी इलाकों से हुई थी. इस चरण में सभी मकानों को स्थायी नंबर दिया गया. दूसरे चरण में जाति और आर्थिक आधार पर जनगणना की गई. इसमें लोगों की शिक्षा का स्तर, नौकरी, गाड़ी, मोबाइल, किस काम में दक्षता, आय के साधन, परिवार में कमाऊ सदस्‍यों की संख्‍या, आश्रितों की संख्‍या, मूल जाति, उपजाति, उप की उपजाति, गांव में जातियों की संख्या, जाति प्रमाणपत्र से जुड़े सवाल पूछे गए. जातीय और आर्थिक जनगणना कराने की जिम्मेदारी बिहार के सामान्य प्रशासन विभाग को दी गई थी. जिला स्तर पर डीएम इसके नोडल पदाधिकारी नियुक्त किए गए थे. इस पूरी प्रक्रिया पर अनुमान के मुताबिक 500 करोड़ रुपये से ज्‍यादा खर्च हुए हैं.

ये भी पढ़ें – घर में लगा वाई-फाई बड़े खतरे से कम नहीं, कई बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा

कैसे की गई बाहर रहने वालों की गणना?
रोजगार के कारण लंबे समय से बिहार के बाहर किसी दूसरे राज्य में रहने वाले लोगों से टेलीफोन के जरिये संपर्क किया गया. इसके बाद उनके मकान पर भी संख्या दर्ज की गई. दूसरे चरण में लोगों को जाति बताने को कहा गया. इसी चरण में एक घर के अंदर रहने वाले परिवारों के मुखिया का नाम भी दर्ज किया गया. परिवार को परिवारिक नंबर मकान संख्या के तौर पर दिए गए.

ये भी पढ़ें – ड्राई क्‍लीनिंग में कौन-सा केमिकल होते है यूज, क्‍या घर पर कर सकते हैं इस्‍तेमाल?

जातिगत जनगणना से क्‍या नुकसान हो सकता है?
राजनीतिक विश्‍लेषकों के मुताबिक, जातिगत जनगणना से आरक्षण का मुद्दा फिर तूल पकड़ सकता है. अगर आंकड़े जारी होने के बाद ऐसा हुआ ताक तूफान खड़ा हो जाएगा. अगर इन आंकड़ों को आधार बनाकर आरक्षण के मुद्दे को हवा दी गई तो सवर्ण इसके खिलाफ खड़े हो सकते हैं. उनका कहना है कि जातिगत जनगणना से आरक्षण बढ़ा तो सबसे ज्यादा नुकसान अगड़ी जातियों को ही होगा. ऐसे में ये पूरा मामला नए सिरे से अगड़ों-पिछड़ों में ध्रुवीकरण करा सकता है. इसका वोट बैंक पर भी असर होना तय है. अब देश के कई राज्यों में इस तरह की जातिगत जनगणना की आवाज उठ सकती है.

Tags: Bihar Assembly Elections, Bihar BJP, Caste Census, CM Nitish Kumar, JDU nitish kumar, RJD

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *