कुंदन कुमार/गया : यह कहानी है बिहार रणजी टीम के कप्तान आशुतोष की. क्रिकेट के प्रति उनकी दीवानगी और उनकी गेंदबाजी की तो खूब चर्चा हुई है. पर इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने कई चुनौतियों का सामाना किया है. बिहार टीम की कप्तानी संभालने वाले आशुतोष अमन की कहानी काफी रोचक है. बिहार टीम के लिए खेलने से पूर्व वह सर्विसेज के लिए खेलते थे.
लेकिन दो दशक के बाद जब बिहार में क्रिकेट की वापसी हुई तो उन्होंने अपने राज्य से खेलने के लिए सर्विसेज टीम को छोड़ दिया. वैसे तो बचपन से आशुतोष अमन शौकिया क्रिकेट खेलते थे और क्रिकेट में करियर बनाने की सोचे भी नहीं थी. लेकिन वर्ष 2004 में जब एयर फोर्स में नौकरी लगी और वहां क्रिकेट का माहौल मिला तो इन्होंने अपनी क्रिकेट को जारी रखा और अपने खेल के दम पर इनका सर्विसेज टीम में चयन हो गया.
माता-पिता ने बताई पूरी कहानी
सर्विसेज छोड़ बिहार क्रिकेट टीम खेलने के पीछे वजह बताते हुए उनके पिता रामप्रवेश शर्मा और माता प्रतिमा देवी बतलाती है कि जब बिहार में क्रिकेट की वापसी हुई तो इन्होंने बिहार टीम से खेलने के लिए रिक्वेस्ट किया और सर्विसेज टीम को छोड़ दिया. क्योंकि उस समय बिहार एक नई टीम थी. कोई अच्छे खिलाड़ी भी नहीं थे.
बिहार टीम क्रिकेट काफी पिछड़ा हुआ था. जिस कारण उन्होंने बिहार के लिए खेलने के लिए रिक्वेस्ट किया था. सर्विसेज टीम छोड़ने के बाद वह जिला मैच, लीग मैच खेलते हुए उनका बिहार टीम में चयन हुआ.अपने बेहतरीन प्रदर्शन के कारण उन्हें टीम की कमान भी दी गई.
उम्दा गेंदबाजी का कर रहे प्रदर्शन
सर्विसेज के लिए भी इन्होंने कई अहम मैच खेले हैं और अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन इन्होंने बिहार क्रिकेट की तरक्की और खिलाड़ियों का उत्थान हो इसके लिए इन्होंने अपने राज्य से खेलने को सोचा. बिहार टीम के उत्थान में इनका अहम योगदान माना जाता है. टीम को प्लेट ग्रुप से एलीट ग्रुप में शामिल कराने में इनका बड़ा रोल है. कप्तानी संभालने के साथ-साथ गेंदबाजी और बल्लेबाजी का जिम्मा भी इनके ऊपर रहता है. गेंदबाजी में इनके नाम रणजी ट्रॉफी के एक सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड है. आठ मैच में 68 विकेट लेकर 44 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ा था.
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FIRST PUBLISHED : January 9, 2024, 19:12 IST