बिहार के बच्चों की अनोखी पहल, विलुप्त हो रही सारंगी की धून को बचाने में जुटे

कुंदन कुमार/गया:- सारंगी भारतीय शास्त्रीय संगीत के वाद्ययंत्रो में काफी पुरानी है. यह 100 प्रकार की धुनों को निकालने वाली एक वाद्ययंत्र है, जो लोकगीत कलाकारों के बीच में बहुत ही प्रचलित है. सारंगी आज संगीत की दुनिया में विलुप्त होने की कगार पर है. कभी इससे निकलती धुन पर लोग मदमस्त हो जाते थे. कोई प्राचीन कथा सुनाने वाले सारंगी की धुनों पर कथा बाचने लगते थे. मंदिर में भगवान की स्तुति करने में सारंगी की जुगलबंदी देखते ही बनती थी. मगर आज यह चिंता की बात है कि सारंगी के इक्के-दुक्के जानकार ही बचे हैं. लेकिन अभी कुछ लोगों द्वारा इसको नई पीढ़ी को सिखाने का प्रयास जारी है, ताकि यह पुराने दौड़ में लौट सके.

नई पीढ़ी को सिखाने का हो रहा है प्रयास
बिहार में भी बहुत कम ही ऐसे लोग हैं, जो सारंगी वादक से जुडे हुए हैं. बनारस में यह वाद्ययंत्र आज भी प्रचलन में है. कुछ खास घराने में इसका इस्तेमाल किया जाता है. बिहार के युवाओ और बच्चों को सारंगी वादन का ज्ञान हो, इसके लिए गया के किलकारी बाल भवन ने एक कोशिश की है. बनारस घराने के प्रसिद्ध युवा सारंगी वादक विनायक सहाय बच्चो को सारंगी वादन और उसके इतिहास के बारे में बता रहे हैं. विनायक सहाय ने सारंगी पर राग भीमपलासी का ख्याल, ठुमरी और दादर प्रस्तुति देकर सभी बच्चों और गुनीजनों का मन मोह लिया.

किलकारी में बच्चों को सिखाई जा रही है सारंगी
मगध प्रमंडल किलकारी कार्यक्रम समन्वयक राजीव रंजन श्रीवास्तव ने सारंगी वादक की सराहना करते हुए कहा कि किलकारी बिहार के 9 प्रमंड में बच्चों को नि:शुल्क प्रशिक्षण देने का काम कर रही है. साथ ही कस्तूरबा बालिका विद्यालय में भी संगीत प्रशिक्षण के लिए क्लास आयोजित किया जा रहा है, जिससे बच्चों को काफी लाभ मिल रहा है. सारंगी वादन परंपरा को बचाने का प्रयास बिहार सरकार के किलकारी के बच्चों के द्वारा किया जाएगा. यहां के बच्चों को सारंगी वादन के गूर सिखाए जा रहे हैं, ताकि वो प्राचीन शास्त्रीय संगीत के बारे में जान सकें.

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जानिए क्या है सारंगी वादन
सारंगी सिर्फ कुछ ही प्रसिद्ध संगीत घराने के बीच रह गई है. अगर उन्होंने भी इसका साथ नहीं दिया, तो सारंगी का नामोनिशान ही समाप्त हो जाएगा. सारंगी भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक ऐसा वाद्ययंत्र है, जो गति के शब्दों और अपनी धुन के साथ इस प्रकार से मिलाप करता है कि दोनों की तारतम्यता देखते ही बनती है. सारंगी मुख्य रूप से गायकी प्रधान वाद्ययंत्र है. प्राचीन काल में सारंगी घुमक्कड़ जातियों का वाद्यययंत्र था. इसे अन्य वाद्ययंत्रों की जुगलबंदी के साथ पेश किया जाता है.

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