नीरज कुमार/बेगूसराय : बिहार के किसान इन दिनों पंजाब में उगाई जाने वाली गेहूं की सबसे पुरानी प्रजाति सोना-मोती को अब अपने खेतों में उगा रहे हैं. सोना-मोती गेहूं को हड़प्पा काल में उगाया जाता था. वहीं गेंहू की सबसे पुरानी प्रजाति में अन्य गेहूं की प्रजाति के मुकाबले 3 गुना अधिक फोलिक एसिड होता है. वहीं इस गेहूं का दाना लंबा नहीं बल्कि गोल होता है. सेहत के लिए इस गेहूं का सेवन काफी फायदेमंद बताया जाता है.
इसी वजह से बिहार के बेगूसराय में इस बार 100 से ज्यादा किसानों ने इसकी खेती शुरू कर दी है. किसानों को इसका बीज कृषि विज्ञान केंद्र और जिले के प्रगतिशील किसान अनीश उपलब्ध करा रहें हैं. यह गेहूं सामान्य गेहूं से जिले में 10 गुने से अधिक दाम पर बिकता है, जिसके चलते किसानों का मुनाफा भी ज्यादा होता है. आइए जानते हैं इस गेहूं के खाने से कौन-कौन रोगों से मुक्ति मिलेगी.
सोना-चांदी गेहूं करेगा इन बीमारियों को रोकने में सहायक
बेगूसराय सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. कृष्ण कुमार ने लोकल 18 से बताया इस गेहूं में दूसरे अनाज के मुकाबले 3 गुना अधिक फोलिक एसिड पाया जाता है. वही 267% अधिक खनिज और 40% अधिक प्रोटीन पाया जाता है.
इस गेंहू के सेवन से असमय बालों का सफेद होना तथा मुंह में छाले और जीभ में सूजन न होगी. इसके अलावा फोलिक एसिड गर्भवती महिलाओं के लिए काफी लाभदायक है. वही इस गेहूं में ग्लूटेन की मात्रा कम होती है. इसके साथ ही ग्लाइसेमिक तत्व भी कम होता है. जिसके कारण डायबिटीज के मरीजों के लिए यह फायदेमंद है.
बेगूसराय के 100 से ज्यादा किसान इस बार कर रहे हैं उत्पादन
सोना-मोती गेहूं हड़प्पा काल से प्रचलन में है. उस समय इसकी खूब पैदावार होती थी. हड़प्पा काल के बाद एक बार फिर अब यह गेंहू किसानों के बीच प्रचलन में आया है. जिले में 100 से ज्यादा किसान इस बार सोना-चांदी गेंहू का उत्पादन कर रहे हैं.
कृषि विज्ञान बीज तो उपलब्ध करा रही है. लेकिन बाजार को लेकर स्पष्ट कार्ययोजना तय नहीं की गई है. ऐसे में उत्पादित गेहूं को बेचने का भी टेंशन हो सकता है. कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की इस पुरातन देशी किस्म पर परीक्षण कर यह निष्कर्ष निकाला कि बगैर कीटनाशक और रासायनिक खाद के इसकी पैदावार की जा सकती है. अब देखना यह होगा किसानों के लिए कितना फायदेमंद सोना चांदी की खेती रहती है.
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FIRST PUBLISHED : December 13, 2023, 17:50 IST