विक्रम कुमार झा/पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया में 700 साल पुराना एक मंदिर है. इस मंदिर की देख रेख जैन धर्म के लोगों के द्वारा की जाती है. मंदिर के पंडित दुर्गेश झा बताते हैं कि यह भैरव मंदिर पूर्णिया का आपरूपी मंदिर है, जो काफी प्राचीन है. कहा कि इस मंदिर में पूजा करने के दौरान भक्तों को भगवान भैरवनाथ को स्पर्श करने से पहले अपने मुंह पर पट्टी बांधनी पड़ती है.
आगे बताया कि मुंह पर पट्टी बांधकर पूजा करने की वजह यह है कि इंसानों के मुंह से निकलने वाली दुर्गंध और विकार भगवान तक ना पहुंच पाए, इसलिए इस परंपरा को बरकरार रखने के लिए इस मंदिर में मुंह पर पट्टी बांधकर पूजा की जाती है. मंदिर कमेटी के सचिव संजय कुमार संचेती, पुजारी दुर्गेश झा, आशुतोष दुबे एवं अन्य ग्रामीणों ने बताया कि यह भैरवनाथ का मंदिर है.
घर नहीं ले जा सकते प्रसाद
मंदिर की मान्यता है कि यदि कोई भक्त यहां प्रसाद चढ़ाता है तो उसे प्रसाद को मंदिर में ही खाना पड़ता है. यदि प्रसाद चढ़ाने के बाद कोई भक्त बिना पूछे या मन से प्रसाद बाहर लेकर जाता है तो उसकी मुश्किलें बढ़ जाती हैं. कई तरह की अप्रिय घटनाएं की आशंका बनी रहती है. इसलिए इस मंदिर की परंपरा रही है कि मंदिर में पूजा करने के बाद चढ़े प्रसाद को मंदिर प्रांगण में ही खाकर खत्म किया जाता है.
एक शख्स ने प्रसाद घर ले जाने का किया था प्रयास
पंडित दुर्गेश झा दावा करते हैं कि एक भक्त ने आज से 15 साल पहले यहां का चढ़ा प्रसाद बाहर ले जाने का प्रयास किया था. उसने भगवान भैरवनाथ की पूजा की और मंदिर में प्रसाद चढ़ाया. फिर बिना बताए वह प्रसाद लेकर घर जाने लगा. इस दौरान उन्हें घर जाते-जाते कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा. फिर वह वापस आए और मंदिर में आकर दोबारा प्रसाद चढ़कर क्षमा याचना की, जिसके बाद उनकी मुश्किलें ठीक हुईं.
इन राज्यों से आते हैं श्रद्धालु
मंदिर कमेटी के सचिव संजय संचेती बताते हैं कि भैरवनाथ का यह मंदिर पूर्णिया के सिटी में है. इस मंदिर में कोलकाता, दिल्ली, उड़ीसा सहित अन्य कई राज्यों से लोग आकर पूजा अर्चना करते हैं. बताया कि कई श्रद्धालु ऐसे होते हैं, जिनकी पहली ही बार में मनोकामना पूर्ण हो जाती है. इस मंदिर में पूजा करने का समय सुबह से दिन के 12:00 तक होता है. दिन के 12:00 से दोपहर के 3:00 तक मंदिर बंद रहता है. इसके बाद फिर पुनः शाम 4:00 से 7:00 बजे तक श्रद्धालु पूजा अर्चना कर सकते हैं. यहां रविवार को भगवान की विशेष आराधना की जाती है.
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FIRST PUBLISHED : October 1, 2023, 19:08 IST