बिहार के इस स्कूल में किताब से नहीं दीवार देखकर होती है पढ़ाई, जानें क्यों

विशाल कुमार/छपरा : बच्चों पर किताब का बोझ न पड़े, इसके लिए छपरा के एक स्कूल ने अनोखा प्रयोग किया है. गरखा प्रखंड के मध्य विद्यालय चैनपुर भैसमढ़ा स्कूल अपने आप में खास है. स्कूल के प्रधानाध्यापक अखिलेश्वर पाठक ने जूनियर क्लास को बैगलेस कर दिया है. यहां जूनियर क्लास के बच्चे किताब लेकर स्कूल नहीं आते हैं. बल्कि दीवारों पर लिखा पाठ सामग्री को पढ़कर ही सब कुछ समझ जाते हैं. बच्चों को इस तरह की पढ़ाई काफी पसंद आती है और इस प्रयोग के बाद बच्चों की संख्या विद्यालय में तेजी से बढ़ रही है.

देखकर समझने में है आसानी
इस अनोखे प्रयोग से बच्चों को पढ़ने में भी खूब मन लग रहा है. पढ़ाने वाले शिक्षक को भी ज्यादा मेहनत करना नहीं पड़ता है. क्योंकि बच्चों की दीवार पर बार-बार नजर पड़ने से कोई भी उत्तर जल्द ही याद हो जाता है. दीवार पर लिखावट के साथ-साथ फल का भी चित्र बनाया गया है. इसके साथ ही जानवर का भी पाठ से संबंधित चित्र बनाया गया है. जिसको देखकर बच्चों को समझने में आसानी होता है.

इस प्रयोग को कहते हैं नवाचार
इस संबंध में स्कूल के प्रधानाध्यापक अखिलेश्वर पाठक ने बताया कि इस प्रयोग को नवाचार भी कह सकते हैं. नवाचार का प्रयोग निचले वर्ग के लिए किया गया है. जब मैं पढ़ाई करता था. तो इसी प्रयोग को अपने रूम में करता था. जिससे याद जल्दी हो जाता था. मैं भी अपने रूम में एक पेज पर लिखकर दीवार पर चिपका देता था और देख कर याद हो जाता था. वही प्रयोग अपने विद्यालय में किया हूं. जो बच्चों को देखने में भी अच्छा लगता है. बार-बार देखने से याद भी हो जाता है.

जिले का यह इकलौता स्कूल है, जहां इस तरह का दीवार पर पेंटिंग की गई है. पेंटिंग को देखकर बच्चे अपने विषय को जल्द ही समझ जाते हैं. बताया कि यहां के बच्चे भी पढ़ने में आगे निकल रहे हैं. इस स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ते जा रही है.

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