बिहार के इस शहर में जनता का शंखनाद, 30 गैर राजनीतिक संगठनों ने एकसाथ भरी हुंकार, जानिए क्यों

हाइलाइट्स

सुपौल से लंबी दूरी की ट्रेन की मांग को लेकर महारैली.
30 गैर राजनीतिक संगठनों ने शहर में निकाली महारैली.
उद्घाटन के 4 सालों बाद भी लंबी दूरी की ट्रेन का इंतजार.

सुपौल. सुपौल में आज जिले के 30 गैर राजनीतिक संगठनों ने जिले के किसी भी स्टेशन से लंबी दूरी की ट्रेन चलाने की मांग को लेकर आंदोलन का शंखनाद कर दिया है. इसमें सभी राजनीतिक पार्टी के लोगों के साथ स्थानीय लोगों ने हिस्सा लिया. शहर के गांधी मैदान से सैकड़ों लोगों ने लंबी दूरी की ट्रेन चलाने की मांग को लेकर हाथों में पट्टा लिए पूरे शहर में घूम-घूमकर नारेबाजी की. जिसके बाद महारैली सुपौल स्टेशन पर एक दिवसीय धरना में तब्दील हो गया.

पूरे शहर में रैली दौरान खास बात यह रही इसमें शामिल किसी ने भी किसी पार्टी या रेल मंत्रालय के खिलाफ में एक भी नारेबाजी नहीं की. सभी ने एक स्वर में सरकार और रेल मंत्रालय से कोसी की उपेक्षा नहीं करने की मांग की. दरअसल, वर्ष 2012 से 2020 तक यानि 9 साल तक लोगों ने आमान परिवर्तन कार्य के दौरान ट्रेन चलने का सपना देखा, जो 2020 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों से उद्धाटन के बाद पूरा हुआ. लेकिन, 2024 तक सुपौल में रेल विभाग द्वारा महज 5 पैसेंजर ट्रेन ही दी गयी. लंबी दूरी की यात्रा के लिए आज भी लोगों को सहरसा या अन्य जिलों का ही सहारा लेना पड़ता है.

ऐसे में लोगों की मांग है कि सरकार व्यापरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण सुपौल जिले के लिए लंबी दूरी की ट्रेन चलाना शुरू करे. लोगों का कहना है कि सुपौल स्टेशन पर रोजाना जगह की कमी की वजह से सहरसा से चलने वाली लंबी दूरी की ट्रेनों को यहां के यार्ड में लगाया जाता है. तत्काल रेल मंत्रालय इन्हीं ट्रेनों का परिचालन सुपौल स्टेशन से शुरू कर दे, जिससे लोगों की समस्या का तत्काल समाधान हो सके. लोगों ने चेतावनी भी दी है कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो आगे चरणबद्ध तरीके से आंदोलन जारी रहेगा.

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