बिहार के इस शख्‍स ने खेती से की 15 लाख की कमाई, अपनाई नई तकनीक

दीपक कुमार/ बांका: इंटीग्रेटेड फार्मिंग यानी समेकित कृषि प्रणाली एक आधुनिक मॉडल है. इसकी प्रणाली को अपनाकर किसान एक हीं जगह पर विभिन्न प्रकार के फसलों की खेती कर सकते हैं. इसके तहत फसल उगाने से लेकर,मुर्गी, मछली और बत्तख के साथ गो-पालन सहित अन्य प्रकार के कृषि आधारित काम कर सकते हैं. कम लागत वाली खेती की यह तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि छोटी सी जमीन पर खेती के अलावा अन्य काम एक साथ कर किसान अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं.

इसके लिए उन्हें कोई नया खर्चा नहीं पड़ता और नुकसान भी नहीं होता है. समेकित कृषि प्रणाली के लिए सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. इसी प्रणाली को अपनाकर बांका जिला अंतर्गत अमरपुर प्रखंड स्थित भीखनपुर गांव के रहने वाले प्रियवर्त कुमार शर्मा में अपने 26 एकड़ खेती कर रहे हैं. इससे सालाना 12 से 15 लाख तक मुनाफा भी कमा रहे हैं.

10 हजार से अधिक लगाए हैं आम के पौधे
प्रियवर्त कुमार शर्मा ने बताया कि पढ़ाई खत्म करने के बाद खेती के कार्य में लग गए. अमूमन पढ़ाई के बाद लोग नौकरी के लिए तैयारी करना शुरू कर देते हैं, लेकिन खुद के लिए अलग रास्ता चुना और खेती करने का हीं मन बना लिया. खेती तो लंबे अर्से से करते आ रहे थे, लेकिन पूर्वजों से चली आ रही परंपरा के तहत हीं खेती करते थे. पारंपरिक खेती में खर्च अधिक हो जाता था और मेहनत के हिसाब से मुनाफा नहीं हो पाता था.

इसके बाद कृषि विज्ञान केन्द्र बांका में समेकित कृषि प्रणाली के बारे में बताया गया. इसके लिए बकायदा कृषि वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण भी लिया. इसके बाद अपने 26 एकड़ में नए सिरे से खेती करना शुरू कर दिया. खेत में तालाब खुदवाया और मछली पालना शुरू कर दिया. इसके अलावा 10 हजार आम के पौधे लगाए. कुछ जमीन खरीफ और रबी फसलों के लिए रख लिया. शुरूआत में कम आमदनी हुई. हालांकि पांच साल बाद समेकित कृषि प्रणाली अपनाने का फायदा मिलने लगा.

सालाना 15 लाख लाख से अधिक की होती है कमाई
किसान प्रियवर्त कुमार शर्मा ने बताया कि 26 एकड़ में से 16 एकड़ में 10 हजार से अधिक आम के पौधे लगाए हैं. जिसमें जिसमें आम्रपाली, जर्दालू, चौसा, भरतभोग शामिल है. उन्होंने बताया कि 2020 में उत्तर प्रदेश गया था, वहीं से 45 रूपए प्रति पीस के हिसाब से आम का पौधा लाया था. वर्तमान में इसी आम के पौधे की कीमत 100 रूपए है. वहीं कुछ जमीन में दो तालाब भी खुदवाए हैं.

जिसमें रेहू, कातल, रूप चंदा वैरायटी का मछली पाल रहे हैं. इसके अलावा पपीता, अमरूद भी लगाए हुए हैं. साथ हीं धान, गेहूं, चना, सरसों की भी खेती करते हैं. कुल मिलाकर सालाना 12 से 15 लाख तक की कमाई हो जाती है. हालांकि कृषि विज्ञान केन्द्र बांका से लगातार सहयोग मिल रहा है. जिसके चलते कृषि में मुनाफा हो रहा है.

Tags: Bihar News, Local18

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