बिहार के इस भक्त के यहां महादेव बने थे नौकर! मां गंगा को किया था चैलेंज! इस मंदिर में दोनों की साथ होती है पूजा

रितेश कुमार/समस्तीपुर. समस्तीपुर जिले के विद्यापतिनगर वह जगह है जहां भक्तों की पुकार पर मां गंगा को आने के लिए विवश होना पड़ा था. कहा जाता है कि मिथिलांचल के प्रसिद्ध उपासना स्थल के रूप में प्रसिद्ध विद्यापति धाम में एक ही साथ भक्त और भगवान दोनों की पूजा अर्चना श्रद्धालु करते हैं. मंदिर के सचिव सतीष कुमार गिरी, कोषा अध्यक्ष मनीष कुमार गिरी, उपाध्यक्ष नवल किशोर गिरी ने कहा कि यहां अवस्थित शिवलिंग की लोग मनोकामना लिंग के रूप में पूजा करते हैं. उनकी मान्यता है कि इसका जलाभिषेक व पूजा करने वाले की हर मनोकामना पूरी होती है. यहां पर भक्त और भगवान की कहानी एक ऐसी है जो पूरी दुनिया के लोग यहां पर आते हैं और भक्त और भगवान की वह लीला देखी है. यहां आने के बाद लोगों को काफी आनंद मिलता है. लोग यहां श्रद्धा के साथ आते हैं. साथ ही यहां पर पूजा अर्चना करने से उनकी मन्नतें भी पूरी होती हैं.

स्थनीय भागवत प्रसाद सिंह और हरीश प्रसाद सिंह ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विद्यापति महाकवि होने के साथ-साथ भगवान शंकर और मां गंगा के भी परम भक्त थे. अपने अंतिम समय में माता गंगा का दर्शन के लिए यहां पहुंचे थे. चलते-चलते थक जाने पर उन्होंने पशु चरा रहे एक चरवाहे से पूछा कि गंगा माता यहां से कितनी दूर है. उस पर चरवाहे ने उन्हें बताया कि गंगा यहां से मात्र 3 कोस की दूरी पर है. इतना सुनने के बाद विद्यापति यह कहते हुए वहीं रुक गए, और बोलने लगे कि मां गंगा से मुलाकात के लिए मैं इतनी दूर आ सकता हूं तो क्या वह मेरे लिए यहां नहीं आ सकती है? इतना कहते हुए वह वहीं बैठ कर मां गंगा की प्रस्तुत करने लगे.

भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव बने थे नौकर
मंदिर के सचिव सतीष कुमार गिरी ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार उनकी विद्यापति की भक्ति से प्रभावित होकर मां गंगा वहां पहुंची और अपनी धारा में उन्हें वह आकर ले गए. तब से यह स्थल विद्यापति नगर के रूप में जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हैं विद्यापति भगवान शंकर के भी बड़े भक्त थे. उनकी भक्ति से भगवान शिव इतने प्रसन्न हुए थे कि उनके यहां वे उगना के रूप में नौकर बनकर रहते थे. बताया जाता है कि महाकवि विद्यापति का जन्म 1380 में आर के मधुबनी जिले के विस्फी ग्राम में हुआ था. इनके पिता गणपति ठाकुर और माता हुसनी देवी थी. विद्यापति भक्ति और श्रृंगार रस के कवि थे, साथ ही वे मिथिला के राज शिवसिंह के राजपुरोहित थे. यही कथा है कि आज विद्यापति धाम में एक साथ भक्त और भगवान की पूजा होती है.

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FIRST PUBLISHED : October 18, 2023, 13:07 IST

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