बिहार के इस ठाकुरबाड़ी में 300 वर्षों से विराजमान हैं गुरुग्रंथ साहिब, राम-सीता की तरह होती है पूजा

मो. सरफराज आलम/सहरसा. गुरुद्वारे में जाकर गुरुग्रंथ साहिब के आगे शीश झुकाते और श्रद्धापूर्वक उनकी आराधना करते हुए आप हजारों सिखों को हर दिन देखते होंगे. लेकिन आज हम आपको जो जानकारी देने जा रहे हैं, उसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. दरअसल, सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर स्थित एक ठाकुरबाड़ी में पिछले 300 वर्षों से हिन्दू देवी-देवताओं के साथ ही गुरुग्रंथ साहिब की भी पूजा की जाती है. यह अलग बात है कि गुरुग्रंथ साहिब की पूजा की विधि यहां के हिन्दू पुजारी को भले ही नहीं पता है, लेकिन भक्तिभाव में कोई कमी नहीं रखी जाती है.

रामजानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर के पुजारी महावीर झा बताते हैं कि इस इलाके में सिख परिवार का कोई नहीं रहता है. रामजानकी ठाकुरबाड़ी में गुरुग्रंथ साहिब के विराजमान होने के पीछे क्या कारण है, किसने इन्हें यहां और कब विराजमान किया, इसकी मुकम्मल जानकारी किसी को नहीं है. हालांकि वे कहते हैं कि कुछ दिन पहले पटना से सिख समाज के कुछ लोग आए हुए थे. ज्यादा जानकारी तो नहीं मिल पाई, लेकिन वे लोग यहां कुछ करना चाहते हैं. माना जा रहा है की इससे गुरुग्रंथ साहिब की ख्याति में और बढ़ोतरी होगी.

श्रद्धापूर्वक करते हैं गुरुग्रंथ साहिब की पूजा
रामजानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर के पुजारी महावीर झा बताते हैं कि जब से उन्होंने जन्म लिया है, तब से इसी कमरे में गुरुग्रंथ साहिब विराजमान हैं. जबकि इस इलाके में एक भी सिख समाज के लोग नहीं रहते हैं. इस रामजानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर में गुरुग्रंथ साहिब के विराजमान होने के पीछे की मुकम्मल जानकारी भी किसी को नहीं है. लेकिन जिस तरह से वे ठाकुरबाड़ी में स्थित देवी देवताओं की पूजा करते हैं, ठीक उसी प्रकार से गुरुग्रंथ साहिब की भी पूजा की जाती है. पुजारी श्री झा बताते हैं किअभी तक इसकी देखरेख वे खुद करते आ रहे हैं. जिस तरह से वह मंदिर की साफ-सफाई करते हैं, ठीक उसी तरह प्रतिदिन गुरुग्रंथ साहिब वाले कमरे की भी सफाई करते हैं. वे कहते हैं कि हालांकि गुरुग्रंथ साहिब के बारे में उन्हें कुछ मालूम नहीं है, फिर भी श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं.

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FIRST PUBLISHED : September 26, 2023, 12:40 IST

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