बिहार के इस गांव में लगती है अदालत, सुनवाई के बाद ऑन स्पॉट मिलती है सजा

नीरज कुमार/बेगूसराय:- कोर्ट-कचहरी का नाम सुनते ही लोग जिला या अनुमंडल मुख्यालय की ओर कूच कर जाते हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि बिहार के एक गांव में भी अब जिला और अनुमंडल कोर्ट की तरह ग्रामीण कोर्ट काम करने लगा है. कोर्ट रूम, जज की कुर्सी, वादी-प्रतिवादी के लिए कटघरा और सजा, सबकुछ कोर्ट की तरह होता है और जज की कुर्सी पर सरपंच बैठते हैं, लिपिकीय कार्य के लिए पेशकार की तरह सरपंच को सचिव मिलता है और कानूनी सलाह देने के लिए सरकारी वकील रहते हैं. यही कारण है कि कुछ एक मामलों को छोड़कर इंसाफ पाने के लिए अब लोग थाना और कोर्ट जाने के बजाए ग्राम कचहरी आते हैं. ऐसा अनोखा कोर्ट बेगूसराय के चेरिया बरियारपुर सदर पंचायत में चल रहा है.

फौजदारी और दीवानी की होती है सुनवाई
जिले के चेरिया बरियारपुर सदर पंचायत की आबादी लगभग 10 हजार है. इस पंचायत में ही थाना होने के बावजूद लोग थाने का चक्कर नहीं लगाते हैं. यहां के सरपंच शंभू कुमार बताते हैं कि उनके पंचायत में हत्या जैसे संगीन मामलों को छोड़कर अन्य सभी मामलों की प्राथमिकी ग्राम कचहरी में की जाती है और इसके बाद कोर्ट सजती है. इस कोर्ट में जज की भूमिका में सरपंच होते हैं. जबकि उन्हें एक सचिव भी मिलता है और कानूनी सलाह देने के लिए वकील नियुक्त रहते हैं, जिसे न्याय मित्र कहा जाता है.

कटघरे में खड़े होते हैं वादी और प्रतिवादी
सरपंच ने बताया कि केस दर्ज होने के बाद दोनों पक्षों को नोटिस देकर सुनवाई में शामिल होने को कहा जाता है. ग्राम कचहरी में भी कोर्ट की तरह इजलास लगाया गया है, जहां दोनों पक्ष अपने-अपने कटघरे में खड़े होकर अपनी दलील देते हैं. चेरिया बरियारपुर सदर पंचायत में जब कोर्ट सजती है, तो पूरा सेटअप जिला कोर्ट की तरह दिखता है. कई बार फैसला सुनाने में पंचायत के मुखिया रवीश कुमार, उपसरपंच और पंच भी सहयोग करते हैं. इस वजह से इस पंचायत से पिछले 10 सालों से महज 5 फीसदी मामला ही थाने में पहुंच पता है. इस ग्राम कचहरी की चर्चा पूरे जिले में होती है.

30 से अधिक धाराओं में होती है सुनवाई
गांव के पूर्व सरपंच शंभू शरण शर्मा ने बताया कि फौजदारी के 30 से अधिक धाराओं के साथ-साथ दीवानी की भी कुछ धाराओं में सुनवाई का अधिकार ग्राम कचहरी को दिया गया है.इसी गांव के 60 वर्षीय अशर्फी पासवान ने बताया कि हमारे गांव से मामले अब थाने में नहीं जाते हैं, बल्कि ग्राम कचहरी में ही इंसाफ मिल जाता है. यहां के लोगों ने बताया कि ग्राम कचहरी में पारिवारिक कलह, मारपीट और जमीन विवाद के मामलों की सुनवाई सबसे ज्यादा होती है.

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