बिहार के इस गांव में नहीं पालते हैं बकरी, मानते हैं अशुभ, वजह जान रह जाएंगे दंग

मो.महमूद आलम/नालंदा: नालंदा का एक अजब-गजब गांव जहां के लोग वर्षों से बकरी पालन करना अशुभ मानते हैं. यह गांव ज़िला मुख्यालय से 20 किमी दूर स्थित चंडी प्रखंड का ढकनिया गांव है. यह गांव गंगौरा पंचायत का वार्ड संख्या 02 है. इस गांव में डेढ़ से दो सौ घर की आबादी है. जो 5000 वर्ग फुट में है. इस गांव में जाती समाज के लोग गांव में बसे हुए हैं. आज से 40-45 वर्ष पूर्व  पर्यावरण विद कहे जाने वाले स्व. सुरेंद्र सिंह ने बकरी के खेत में लगी फ़सल खा जाने और उसके छींक को अशुभ माना था. जिसके बाद गांव में किसी प्रकार का विवाद न उत्पन्न हो इस वजह से सभी गांव वासियों के साथ बैठक कर आपसी सहमति से बकरी पालन छोड़ दिया गया.

आगे भी गांव के युवा इस परंपरा को मानते आएंगे

ढकनिया गांव के ग्रामीणों ने लोकल 18 से बात करते हुए मुकेश, बब्बन और राजकुमार ने बताया कि यह पुरानी परंपरा है, जिसे आज भी गांव के लोग मानते आ रहे हैं. आगे भी गांव के युवा इस परंपरा को मानते आएंगे. यहां के लोगों की ऐसी मान्यता है कि जब से यह परंपरा शुरू हुआ है तबसे आज तक किसी प्रकार का कोई अनहोनी नहीं हुई है और खुशहाल गांव के रूप में जाने जाते हैं. यही नहीं इस गांव में स्व. सुरेंद्र सिंह द्वारा 3 एकड़ में एक वाटिका है जिसका नाम कुंदन वाटिका दिया गया है. यहां कई प्रकार के औषधीय गुण वाले पौधे व गुणकारी फ़ल एवं सब्ज़ी और मसाले लगे हुए हैं.

जिससे यहां के ग्रामीणों को उसका लाभ पहुंचाया जाता है. चाहे वह किसी भी वर्ग समाज के लोग हैं. अगर उनके ज़रूरत की चीज़े वहां है तो वहां से मदद की जाती है. इसके अलावा इस गांव की खासियत यह भी है कि इस गांव से अभी तक एक भी मामला थाने नहीं पहुंचा है. जो वहां रिकॉर्ड दर्ज हो जब से यह गांव बसा है. इसके बाद नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून से पहले से वहां के लोग न शराब पीते थे न ही बनाते हैं. इसके साथ ही गांव में पंच और वार्ड सदस्य का चुनाव निर्विरोध चुने जाते हैं. जितने ग्रामीण हैं उनके सहमति से हर वर्ग के लोगों को खुद ही मनोनित करते हैं. जो बिहार के आदर्श गांव के रूप में यह गांव है. साथ ही अभी तक इस गांव में एक आंकड़ा के अनुसार 85% लोग शिक्षित हैं और गांव के अलावा दूसरे जगह पर विभाग में कार्यरत हैं.

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FIRST PUBLISHED : August 30, 2023, 12:37 IST

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