बिहार के इस गांव में उज्ज्वला योजना का पता ही नहीं, लोगों ने बयां किया दर्द

आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारण. केंद्र सरकार की उज्जवला योजना से गांव-गांव में गैस सिलेंडर का कनेक्शन दिया जा रहा है. बीपीएल परिवार के लिए इस योजना से मुफ्त में गैस कनेक्शन दिया जा रहा है. बावजूद इसके आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां के हर एक घर में गैस सिलेंडर से नहीं, बल्कि मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाया जाता है. इसका एकमात्र कारण लोगों में इस योजना की जानकारी का आभाव है. चौंकाने वाली बात यह है कि इन गांवों में लोगों ने अबतक गैस का कनेक्शन तक नहीं लिया है. सदियों से यहां मिट्टी के चूल्हे पर ही खाना बनाया जाता है. ऐसा ही एक गांव बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले में है.

पश्चिम चम्पारण जिले का बगहा-2 प्रखंडशुगर फैक्ट्री के लिए प्रसिद्ध है. इस प्रखंड का कुछ गांव अत्यंत पिछड़ा है. यहां के लोग आज भी खर पतवार से खाना बनाने के लिए मजबूर हैं. बगहा-2 प्रखंड के इन्हीं गांवों में से एक है हरका. ग्रामीण जयश्री मांझी बताते हैं कि गांव में क़रीब 100 घर हैं, जहां कच्चे चूल्हे पर खर पतवार से ही खाना बनाया जाता है. यहां शायद ही कोई ऐसा घर है, जहां गैस का कनेक्शन लिया गया हो. ध्रुप्ति देवी बताती हैं कि हमें किसी ने बताया ही नहीं. उन्होंने कहा कि यहां के अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूर हैं. जिनकी हर दिन की कमाई प्रतिदिन महज 100 से 150 ही रुपए होती है. ऐसे में खाने का जुगाड़ भी मुश्किल से हो पाता है, तो गैस सिलेंडर का कनेक्शन भला कोई कैसे ले ?

नहीं है योजना की जानकारी
समझने वाली बात यह है कि बीपीएल परिवार को उज्जवला योजना से मुफ्त में गैस का कनेक्शन दिया जाता है. उक्त गांव में भी ऐसे अनगिनत परिवार हैं, जो गरीबी रेखा से नीचे की कैटेगरी में आते हैं. इसके बावजूद वे इस योजना के लाभ से वंचित हैं. इसका कारण बताते हुए ग्रामीण नीरज कुमार ने बताया कि यहां के ज्यादातर लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं. इस वजह से उन्हें सरकार की किसी भी योजनाओं की जानकारी नहीं हो पाती है. जहां तक बात गांव के मुखिया और सरपंच की है, तो उनकी तरफ से भी गांव वालों को कभी किसी योजना के बारे में जानकारी नहीं दी जाती है. यही कारण है कि यहां के 100 घरों में आज भी मिट्टी के चूल्हे पर जंगल और खेतों से लाए खर पतवार से ही खाना बनाया जाता है.

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