बिहार के इस गांव की लकड़ी के सामान की विदेशों में धूम, कमाने नहीं जाते दूसरे प्रदेश!

राजकुमार सिंह/ वैशाली. बिहार के वैशाली जिले में एक ऐसा गांव है, जहां के लोग काम की तलाश में दूसरे राज्यों की ओर पलायन नहीं करते हैं. गांव के हर घर में खुद का कारोबार है. जिससे वह अपना जीवन यापन कर रहे हैं. दरअसल, हम बात कर रह हैं लालगंज के प्रेमनगर की, जिसकी आबादी लगभग चार हजार है. यहां के हर घर में लकड़ी का चकला और बेलन बनाया जाता है. इलाके में इसे हुनरमंदों का गांव कहा जाता है.

गांव के लोग बताते हैं कि उनके पूर्वजों के समय से ही गांव के लोग लकड़ी का सामान बनाते आ रहे हैं. पहले लकड़ी का मचिया और अन्य सामान बनाया करते थे. लेकिन अब अधिकतर परिवारों के लोग चकला और बेलना ही बनाते हैं. जिसकी सप्लाई झारखंड से लेकर पंजाब तक होती है. बिहार के लगभग सभी जिलों में यहीं का बना चकला और बेलना बिकता है. इस काम को करने वाले ग्रामीण बताते हैं कि यह काम उनके पूर्वजों ने शुरू किया था, जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी लोग करते आ रहे हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि देश के अधिकांश घरों में इसी गांव का बना चकला और बेलन का इस्तेमाल रोटी बनाने के लिए किया जाता है.

सरकार से आर्थिक मदद की है दरकार
गांव के लोग बताते हैं कि इस काम को करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि गांव के लोगों को काम की तलाश में दूसरे राज्यों में नहीं भटकना पड़ता है.हर घर के लोग अपना जीवन यापन बेहतर तरीके से अपने घर पर रहकर ही कर ले रहे हैं. हालांकि, सरकार की उदासीनता के कारण ग्रामीणों में आक्रोश है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकार आर्थिक मदद करती तो इस काम को और बेहतर व बड़े पैमाने पर किया जा सकता है. बहरहाल दूसरे के यहां मजदूरी करने के बजाए अपने पारंपरिक और खानदानी काम को कर रहे इस गांव के लोग लोकल फोर वोकल का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं.

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FIRST PUBLISHED : September 26, 2023, 19:08 IST

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