Patna:
Co-operative Committee News: एक तरफ बिहार में राजनीतिक सरगर्मी तेज है तो वहीं दूसरी तरफ बिहार सरकार अब ऑडिट नहीं कराने वाली सहकारी समितियों पर सख्त कार्रवाई करेगी. बता दें कि सहकारिता विभाग ने इस संबंध में निर्देश दिए हैं कि सहकारी समितियों के ऑडिट पर विशेष ध्यान दिया जाए और समय-समय पर उनका ऑडिट किया जाए. वहीं 3276 समितियों ने दो से तीन साल से ऑडिट नहीं कराया है, जिसके बाद विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को ऐसी समितियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक तंत्र तैयार करने का निर्देश दिया है, ताकि धोखाधड़ी जैसी आशंकाओं को खत्म किया जा सके. बता दें कि कार्रवाई के साथ-साथ सहकारी समितियों के ऑडिट की भी समय पर निगरानी की जाएगी. इस मामले में सहकारिता मंत्रालय ने राज्यों को दिशा-निर्देश भी जारी किये हैं.
केंद्र से मिले राज्यों को निर्देश
- आपको बता दें कि सहकारिता विभाग के मुताबिक, केंद्र सरकार की नई सहकारी नीति के तहत सहकारी संस्थाओं को अब अपने संचालन और वित्तीय स्थिति के साथ-साथ अपने सदस्यों की जानकारी सरकार को जल्द से जल्द देनी होगी.
- संस्था का निर्धारित मापदण्डों के आधार पर समयबद्ध ऑडिट कराना होगा.
- जिन सहकारी संस्थाओं ने ऑडिट नहीं कराया है और रिपोर्ट नहीं दी है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
- संस्थाओं को वित्तीय वर्ष की समाप्ति के दो माह के भीतर यानि मई के अंत तक संस्था में एक ऑडिटर नियुक्त करना और रजिस्ट्रार, सहकारी समितियों को सूचित करना अनिवार्य होगा.
- यदि संस्था की ओर से रजिस्ट्रार को सूचना नहीं दी गई तो सहकारिता विभाग के स्तर से ऑडिटर नियुक्त किया जाएगा.
अब रजिस्ट्रार कर सकेगा विशेष वर्ग की संस्थाओं में ऑडिटर नियुक्त
- अब, विशिष्ट परिस्थितियों में किसी विशेष संस्थान या किसी विशेष श्रेणी के संस्थानों के ऑडिट के लिए एक निश्चित अवधि के लिए एक ऑडिटर नियुक्त किया जा सकता है.
- इस प्रकार नियुक्त ऑडिटर से ऑडिट कराना संस्था के लिए बाध्यकारी होगा. अब कोई भी एक व्यक्ति या ऑडिटिंग फर्म लगातार दो साल से अधिक समय तक संस्थान का ऑडिट नहीं करेगा.
- यदि किसी संस्था में वित्तीय अनियमितता की जानकारी हो तो आवश्यकतानुसार विशेष ऑडिट कराया जा सकता है.
- ऑडिट कार्य को निष्पक्ष बनाए रखने के लिए अब किसी भी व्यक्ति या ऑडिटिंग फर्म को संस्था के ऑडिट में नहीं लगाया जा सकेगा, जो या उसके परिवार का कोई व्यक्ति संस्था का सदस्य या कर्मचारी हो.