मो. सरफराज आलम/सहरसा.बिहार की एक और बेटी का नाम देश और दुनिया में गूंजने लगा है. लक्ष्मी ने ऐसा काम किया है, जिसे सुनकर हर कोई दांतों तले अंगुली दबा रहा है. दरअसल, सहरसा जिले के बनगांव की रहने वाली लक्ष्मी ने बीते दिनों तुर्की की सबसे ऊंची चोटी माउंट अरारत पर तिरंगा लहराया था. इससे पूर्व लक्ष्मी, दक्षिण अफ्रीका के सबसे ऊंचे पहाड़ किलिमंजारो पर तिरंगा लहराने वाली बिहार की पहली बेटी बनी थी.
लक्ष्मी को मिली इस सफलता के बाद जब वह अपने घर पहुंची है तो बधाई देने के लिए लोगों का तांता लग गया है. लोकल 18 से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि बिहार की बेटियां अब किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है.
आसान नहीं था पहाड़ी पर चढ़ाई करना
वो बताती हैं कि तुर्की की सबसे उंचे चोटी तक पहुंचने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. कई चुनौतियां सामने आई, फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. एक समय में उन्हें लगा कि वे इस मुकाम तक नहीं पहुंच सकेगी. लेकिन उन्होंने हिम्मत को कायम रखा और अपनी सफलता की ओर आगे बढ़ती गई. आखिर में उन्हें यह सफलता मिल ही गई. लक्ष्मी बताती हैं कि तुर्की की सबसे ऊंची चोटी अरारत की पहाड़ी पर 16854 फीट की ऊंचाई पर उन्होंने तिरंगा लहराया. वह भी मात्र 41 घंटे में. लक्ष्मी यह भी बताती हैं कि इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्हें कई लोगों से आर्थिक सहयोग लेना पड़ा. शुभचिंतकों की मदद सेउन्होंने सफलता हासिल की है.
बचपन में हो गई थी पिता की मौत
आपको बता दें कि लक्ष्मी की इस सफलता में उनकी मां सरिता देवी का काफी सहयोग रहा है. दरअसल, लक्ष्मी जब छोटी थी, तो उन्हीं दिनों उनके पिता विनोद झा की मौत हो गई. वह चार भाई-बहन में सबसे छोटी है. पिता की मौत के बाद रोजी-रोटी का कोई सहारा नहीं था, तो उनकी मां गांव के ही कई घरों में चूल्हा-चौका संभाल कर परिवार चलाती रही. बाद के दिनों में बड़े भाई श्याम ने गांव में ही किताब की दुकान खोल ली, जबकि लक्ष्मी ने पढ़ाई जारी रखी.
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FIRST PUBLISHED : September 02, 2023, 14:15 IST