बिहार का युवा किसान कर रहा है इस सब्जी की खेती, हर हफ्ते कमा रहा है 20 हजार रुपए

भास्कर ठाकुर/ सीतामढ़ी: बिहार में किसान पारंपरिक धान, गेहूं मक्का सहित अन्य फसलों की खेती से अब तौबा करने लगे हैं. लगातार मौसम की बेरूखी के चलते किसान अब नगदी फसल की ओर रूख कर लिया है. अब किसान बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती करने लगे हैं. खेती-किसानी के क्षेत्र में युवा वर्ग की भी हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है. जिसके चलते खेती करने का ट्रेंड भी बदलाता जा रहा है. सीतामढ़ी जिला के धरमपुर गांव के रहने वाले युवा गणेश कुमार पढ़ाई के साथ-साथ सब्जी की खेती भी कर रहे है. वर्तमान में गणेश ने अपने एक बीघा जमीन पर परवल की खेती कर रहे हैं. परवल का उत्पादन इतना बेहतर है कि प्रत्येक सप्ताह 20 हजार से अधिक की कमाई हो रही है.

चार महीने में हीं परवल के लत में फलन हो जाता है शुरू

युवा गणेश कुमार ने बताया कि पढ़ाई के साथ नगदी फसल की खेती इसलिए शुरू किया है कि इससे रोजाना आमदनी होती है. उन्होंने बताया की 2014 से खेती कर रहे है. हालांकि परवल की खेती 2016 से करना शुरू किया है. परवल की खेती में हो रहे आमदनी को देखकर अब सिर्फ इसी की खेती करते है. उन्होंने बताया कि परवल का बीज नहीं लगाया जाता है, उसके लिए लत हीं लाते है. दिसंबर महीने में लत लगाया जाता है, जो अप्रैल में जाकर फल देना चालू करता है. उन्होंने बताया कि फसल को तैयार होने में लगभग 4 महीने का समय लगता है.

हर हफ्ते परवल से होती है 20 हजार की कमाई

युवा गणेश कुमार ने बताया कि एक बीघा में परवल की खेती फिलहाल कर रहे हैं. परवल के लत में फलन शानदार है. हर सप्ताह खेत से परवल निकल रहा है. हर हप्ते 4 क्विंटल से अधिक परवल टूट रहा है और व्यापारी के माध्यम से सीतामढ़ी सहित आस-पास के जिलों में पहुंच रहा है. इससे हर हप्ताह 20 हजार की कमाई हो रही है. फसल को सुरक्षित रखने के लिए विशेष तरह की जैविक दवा स्मार्ट प्रोडक्ट का छिड़काव करते हैं.उन्होंने बताया कि पहले रसायनिक खादों पर 50 से 60 हजार रूपए खर्च कर देते थे, लेकिन इस स्मार्ट प्रोडक्ट के दवा से महज 20 हजार में फसल को उससे बेहतर कंडीशनर में रखा जा रहा है.यह एक जैविक दवा है जो फसल को भी नुकसान नहीं पंहुचाता है.

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FIRST PUBLISHED : August 31, 2023, 13:54 IST

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