बिलकिस बानो मामले में SC के फैसले का कांग्रेस ने किया स्वागत किया, प्रियंका बोलीं- बीजेपी की महिला विरोधी नीतियों से पर्दा उठ रहा

priyanka gandhi

ANI

कांग्रेस नेता ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि अंततः न्याय की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार बिलकिस बानो के आरोपियों की रिहाई रद्द कर दी है। इस आदेश से भारतीय जनता पार्टी की महिला विरोधी नीतियों पर पड़ा हुआ पर्दा हट गया है।

एक ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार के दोषी 11 लोगों को गुजरात सरकार द्वारा दी गई छूट के आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने राज्य की कमी का हवाला देते हुए उन्हें दो सप्ताह के भीतर जेल लौटने का आदेश दिया। इसकी को लेकर अब राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि आखिरकार न्याय की जीत हुई।

कांग्रेस नेता ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि अंततः न्याय की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार बिलकिस बानो के आरोपियों की रिहाई रद्द कर दी है। इस आदेश से भारतीय जनता पार्टी की महिला विरोधी नीतियों पर पड़ा हुआ पर्दा हट गया है। उन्होंने कहा कि इस आदेश के बाद जनता का न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास और मजबूत होगा। बहादुरी के साथ अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए बिल्किस बानो को बधाई। कांग्रेस के मीडिया और प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि गुजरात सरकार द्वारा 11 बलात्कारियों की रिहाई को रद्द करने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला “महिलाओं के प्रति भाजपा की क्रूर उपेक्षा को उजागर करता है”।

‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कांग्रेस ने कहा कि बिलकिस बानो के बलात्कारी फिर से जेल जाएंगे, BJP सरकार ने इन बलात्कारियों की रिहाई करवाई थी। बिलकिस बानो केस में आया सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है। यह फैसला गुजरात की BJP सरकार द्वारा बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई करने के महिला विरोधी कृत्य को उजागर करता है। यह बताता है कि महिलाओं को लेकर BJP की सोच कितनी घृणित है। उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा से छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को सोमवार को यह कहकर रद्द कर दिया कि आदेश ‘‘घिसा पिटा’’ था और इसे बिना सोचे-समझे पारित किया गया था।

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