दीपक पाण्डेय/खरगोन. गणेश उत्सव और नवरात्रि जैसे त्योहारों के आगमन के साथ ही, मूर्तिकारों का काम शुरू हो जाता है. वे 7 से 8 महीने पहले ही मूर्तियां बनाने में लग जाते हैं. इस काम के लिए हजारों की संख्या में मूर्तियां बनाने की आवश्यकता होती है, जिसके लिए पैसे का भी खर्च आता है. कई बार, मूर्तिकारों को इस काम के लिए कर्ज लेना पड़ता है. महिनों की मेहनत के बाद, ये मूर्तियां तैयार होकर बाजार में बेची जाती हैं, जिससे कुछ आम लोग उन्हें खरीदते हैं. यह सारे पैसे मूर्तिकारों के लिए किसी तरह का आर्थिक संघर्ष से गुजरने के बाद कमाए जाते हैं, जिन्हें वे कर्ज चुकाने और अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए उपयोग में लाते हैं. हालांकि, आज हम एक ऐसे कलाकार के बारे में चर्चा कर रहे हैं जिन्होंने 1500 से अधिक मूर्तियां बनाई हैं, लेकिन उनकी किसी भी मूर्ति को अब तक खरीदा नहीं गया है.
कर्ज लेकर बनाई मूर्तियां
यह खरगोन जिले के मंडलेश्वर में बसे मूर्तिकार हीरा कश्यप हैं. हीरा ने गुजरे 25 साल से मूर्तियों का निर्माण का काम किया है, जिससे वह और उनका परिवार गुजारा करते हैं. वह विशेषकर गणेश जी और मां दुर्गा की मूर्तियां बनाते हैं, जिन्हें प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से तैयार किया जाता है. इस साल, वह छोटी और बड़ी साइज की 1500 से अधिक मूर्तियां बना चुके हैं, लेकिन अब तक एक भी मूर्ति को नहीं बेच सकें. खरीदारों ने मूर्तियां खरीदने से मना कर दिया है, और वे जिन्होंने पहले से ही आर्डर दिया था, वे अब अपने पैसे वापस मांग रहे हैं.
बाढ़ में बह गई खुशियां
हीरा कश्यप की आंखों में दर्द छुपा हुआ था. वह बताते हैं कि वे और उनकी 7 से 8 सदस्यों की टीम पिछले 6 से 7 महीनों से मूर्तियों के निर्माण काम में लगे थे. जब मूर्तियां तैयार होकर बेचने के लिए तैयार हो गईं, तो बिकने से पहले ही डैम के गेट्स खोल दिए गए, जिससे नर्मदा नदी में बाढ़ आ गई. इस बाढ़ के पानी ने उनके घर और कारखाने में प्रवेश किया, और राखी छोटी और बड़ी सभी मूर्तियां खराब हो गईं. इन मूर्तियों का अब केवल विसर्जन का काम बचा है.
7 लाख का हुआ नुकसान
हीरा बताते हैं कि उन्होंने मूर्तियों के निर्माण के लिए कर्जा लिया था, और यह कर्जा बेची जाने वाली मूर्तियों से चुकाना था. लेकिन मूर्तियां खराब होने के कारण वे नहीं बिकी और उन्हें करीब 6 से 7 लाख रुपए का नुकसान हो गया. इन मूर्तियों में गणेशजी और मां दुर्गा की मूर्तियां शामिल थीं. अब उनके सामने कर्जा चुकाने और अपने घर का प्रशासन करने के लिए एक बड़ी चुनौती है. वे बताते हैं कि मूर्तियां खराब हो जाने से उनके घर के सामान, जिसमें खाने पीने का सामान और अन्य आवश्यक चीजें शामिल थीं, भी खराब हो गई हैं, जिसका कोई भी काम का नहीं रहा.
लगाई मदद की गुहार
हीरा ने बताया कि इतने दिनों तक, उन्हें शासन से कोई मदद भी नहीं मिली है. कोई अधिकारी उनके हालात को जानने तक नहीं आया है. नगर परिषद अध्यक्ष विश्वदीप मोयदे तो जरूर आएं थे, लेकिन, आश्वासन देकर चले गए. अब हीरा ने शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है, ताकि वे अपने बच्चों और परिवार को दो वक्त की रोटी खिला सकें.
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FIRST PUBLISHED : September 22, 2023, 13:40 IST